श्मिट, जोहैनीज़ (Schmidt Johannes, सन् १८७७-१९३३), डेन्मार्क वासी जीववैज्ञानिक, का जन्म जीगरस्प्रिस (Jaegerspris) में तथा शिक्षा कोपेनहेगेन में हुई थी।
सन् १८९९ में इन्होंने अज्ञात वनस्पतियों की खोज में स्याम देश (थाईलैंड) को अभियान कर, वैज्ञानिक जीवन आरंभ किया। सन् १९१० में कार्ल्सबर्ग संस्थान की प्रयोगशाला में हॉप (hop) के जैव तथा जीवरासायनिक अनुसंधान में आप लगे रहे, परंतु विज्ञान को आपकी सबसे बड़ी देन सागर विज्ञान के क्षेत्र में थी। कुछ समय तक ये सागर अन्वेषण के लिए गठित, अंतर्राष्ट्रीय परिषद् के सदस्य रहे। आपकी रुचि मछलियों के विकास की ओर थी।
एक सागरयात्रा में सुदूर अंध महासागर में आपने मीठे जलवासी ईल (eel) मछली के डिंभक (लार्वा) पाए और उन्हें एकत्र किया। इससे प्रेरित होकर, इन्होंने भिन्न आयुओं के डिंभकों की खोज आरंभ की तथा यह सिद्ध करने में सफल हुए कि नदियों के मीठे जल की ईल मछली के अंडे देने का स्थान, जिसकी दीर्घकाल से खोज थी, लीवर्ड और बाहामा द्वीपों के मध्य स्थित है।
सागर विज्ञान के क्षेत्र में इस महत् खोज के सिवाय, आपकी सागरयात्राओं तथा मछलियों के बच्चों संबंधी जीवनसांख्यिकीय अनुसंधानों से, सागरों के प्राणीसमूह तथा मत्स्यों के बारे में हमारी जानकारी में अतीव वृद्धि हुई। (भगवान दास वर्मा)