शोर, सर जॉन (१७५१ १८३४ ई.) सर जॉन शोर सन् १७९३ में भारत का गवर्नर जनरल बनाया गया। भारत पहुँचने पर उसके सामने निज़ाम और मराठों का मामला आया। दोनों शक्तियों में चौथ के संबंध में खटपट हुई थी और युद्ध की नौबत आ गई। दुर्बल निज़ाम ने मराठों के विरुद्ध जॉन शोर से सहायता माँगी। सोच विचार कर शोर ने निज़ाम को सहायता देने से इन्कार कर दिया। इस कार्य से देशी शक्तियों का कंपनी का विश्वास डगमगा गया। १७९५ में मराठों की निज़ाम पर विजय हुई।
पिछली संधि के विरुद्ध शोर ने अवध में सेना बढ़ा दी और नवाब आसफुद्दौला से धन माँगा। नवाब के विरोध करने पर शोर ने स्वयं लखनऊ जाकर नवाब को मजबूर किया। आसफुद्दौला की मृत्यु पर शोर की राय से वजीर अली गद्दी पर बैठा, पर बाद में उसने अपनी राय बदल दी और फायदे की शर्तों पर सादत अली को गद्दी पर बिठला दिया। इसके अतिरिक्त, इस समय सेना में अशांति थी। सैनिक अफसरों ने अपनी माँगों पर इतना जोर दिया कि सन् १७९५ में शोर को उनकी बहुत सी बातें माननी पड़ीं। १७९८ में शोर इंग्लैंड लौट गया। ( मिथिलेश चंद्र पांड्या)