शेष (1) प्रसिद्ध आचार्य जिन्होंने यजुर्वेदीय वेदांग ज्योतिष का निर्माण किया जिसमें कुल ४३ श्लोक हैं। इसपर सोमाकर की टीका है। (२) कद्रू से उत्पन्न कश्यप के पुत्र जो नागों में प्रमुख थे। इनके सहस्र फणों के कारण इनका दूसरा नाम अनंत है। यह सदा पाताल में ही रहते थे और इनकी एक कला क्षीरसागर में भी है जिसपर विष्णु भगवान् शयन करते हैं। अपनी तपस्या द्वारा इन्होंने ब्रह्मा से संपूर्ण पृथ्वी धारण करने का वरदान प्राप्त किया था। लक्ष्मण जी शेष के ही अवतार माने जाते हैं। ((स्वर्गीय) रामाज्ञा द्विवेदी)