शेनयांग (Shenyang) या मूकडेन स्थिति : ४१५१ उ.अ. तथा १२३२५ पू.दे.। यह दक्षिणी मंचूरिया के लिआउनिंग प्रांत की राजधानी है, जो पीकिंग के ३८० मील पूर्व-उत्तर-पूर्व लिआउ हो नदी की सहायक हुन हो नदी पर स्थित है। मूकडेन का पहले चीनी नाम फंगट्येन (Fengtien) था, लेकिन अब इसे शनयांग या शेनयांग कहा जाता है। उपजाऊ कृषिक्षेत्र के बीच में स्थित यह नगर रेल मार्गों का केंद्र है। नगर के समीपवर्ती कृषिक्षेत्र में सोयाबीन, चुकंदर और अनाज की उपज होती है। पहाड़ी भागो से समूर और खालों की प्राप्ति होती है। संपूर्ण चीन में सबसे बड़ी कोयला खान फूथून की है, जो इस नगर के पास ही में स्थित है। यहाँ आटा पीसने, तिलहन पेरने चमड़ा पकाने, एवं कागज, साबुन और लौह इस्पात के कारखाने हैं। मूकडेन में मिग-१७ एव ऐन (An) -२ विमान बनाने का एक राष्ट्रीय कारखाना है। नगर में शाही प्रासाद तथा जापानी आवासस्थान उल्लेखनीय दर्शनीय स्थान हैं। यहाँ एक विश्वविद्यालय भी है।

१२वीं शताब्दी में यह कितान राजवंश की राजधानी भी था। उत्तरी भाग में प्राचीन सम्राटों के मकबरे (पीलुंग मोसोलियम) चीन के प्रसिद्ध स्मारकों में से हैं। सन् १६४४ से सन् १९११ तक यह मंचू राजवंश की राजधानी रहा तथा उन लोगों ने ही इसे मूकडेन नाम प्रदान किया। जोफेंगटिएन याशेंगकिंग (और अब लिआउनिंग) प्रांत की राजधानी रहा। जापान और रूस के बीच में मंचूरिया पर प्रभुत्व रखने के लिए मूकडेन की स्थिति बहुत ही महत्वपूर्ण थी। यह रूसियों का गढ़ था। १० मार्च, १९०५ ई. को मूकडेन की लड़ाई में जापान ने इसपर अधिकार कर लिया। चीनी क्रांति के बार यह अपने पुराने नाम शेनयांग के नाम से जाना जाने लगा और चीनी जनरल चांग त्सो लीन का आवास था। सन् १९३१ में नगर पुन: जापानियों के अधिकार में चला गया और १९३४-४६ ई. फंगट्येन प्रात की राजधानी रहा। युद्ध के बाद नगर का नाम पुन: शेनयांग हो गया और इसपर केंद्रीय सरकार का शासन था। सन् १९४९ में यह मंचूरियाई प्रादेशिक सरकार की राजधानी हो गया। (राजेंद्र प्रसाद सिंह)