शेनयांग (
१२वीं शताब्दी में यह कितान राजवंश की राजधानी भी था। उत्तरी भाग में प्राचीन सम्राटों के मकबरे (पीलुंग मोसोलियम) चीन के प्रसिद्ध स्मारकों में से हैं। सन् १६४४ से सन् १९११ तक यह मंचू राजवंश की राजधानी रहा तथा उन लोगों ने ही इसे मूकडेन नाम प्रदान किया। जोफेंगटिएन याशेंगकिंग (और अब लिआउनिंग) प्रांत की राजधानी रहा। जापान और रूस के बीच में मंचूरिया पर प्रभुत्व रखने के लिए मूकडेन की स्थिति बहुत ही महत्वपूर्ण थी। यह रूसियों का गढ़ था। १० मार्च, १९०५ ई. को मूकडेन की लड़ाई में जापान ने इसपर अधिकार कर लिया। चीनी क्रांति के बार यह अपने पुराने नाम शेनयांग के नाम से जाना जाने लगा और चीनी जनरल चांग त्सो लीन का आवास था। सन् १९३१ में नगर पुन: जापानियों के अधिकार में चला गया और १९३४-४६ ई. फंगट्येन प्रात की राजधानी रहा। युद्ध के बाद नगर का नाम पुन: शेनयांग हो गया और इसपर केंद्रीय सरकार का शासन था। सन् १९४९ में यह मंचूरियाई प्रादेशिक सरकार की राजधानी हो गया। (राजेंद्र प्रसाद सिंह)