शेख़ फख़ुद्दीन ईराकी आपका नाम तो फखुद्दीन था किंतु आपकी ख्याति 'ईराकी' उपनाम से हुई। आप हमदन के रहनेवाले और शेख शिहाबुद्दीन श्ह्रुवर्दी के शागिर्द थे। १७ वर्ष की उम्र में आपने अपनी पढ़ाई समाप्त की और स्वयं अपने मदरसे की स्थापना की। बाद में आप मुल्तान गए और वहाँ शेख बहाउद्दीन ज़करिया के साथ रहने लगे। उन्होंने आपको खिलाफतनामा का वरदान दिया और अपनी लड़की का विवाह भी आपके साथ कर दिया।
शेख बहाउद्दीन ज़करिया की मृत्यु हो जाने पर आप जियारत करने एशिया माइनर चले गए और वहाँ सदरुद्दीन क़ौनवी के साथ रहने लगे। बाद में दमिश्क में १२८९ ई. में आपकी मृत्यु हो गई।
आप धर्मशास्त्रों के विद्वान् थे और आपके ग्रंथ 'लम आत' से आपकी ख्याति फैली। (काजी मुईनुद्दीन)