शुनफू (क्वा ह्सी) (ल. १०२०-९०)। चीनी चित्रकार। चीनी कला के प्रख्यात भूदृश्यकारों में इसका स्थान है। कला के ऊपर उसकी व्याख्यान भी उपलब्ध हैं जिन्हें उसके पुत्र ने 'वनों तथा जलधाराओं के महान् संदेश' नामक ग्रंथ में संगृहीत किया। शुन-फू ने चित्रअकादमी से अल्पावस्था में चित्रकला सीखकर उसमें उत्तरोत्तर अपने व्यकितत्व का विकास किया। वह प्रकृति के अवयवों में जीवित आकृतियाँ प्रतिष्ठित करने के लिए प्रसिद्ध है। उसके पर्वतों पर बादल इस प्रकार बिठाए जाते थे जैसे त्वचा पर झुर्रियाँ, साँप की कुंडलियों की भाँति उनमें बल होते थे, उनके पत्थर ऐसे चित्रित होते थे जैसे दैत्यों के चेहरे, वृक्षों की शाखाएँ जैसे शिकारी पक्षी के पंजे। उसके बनाए चित्र आज उपलब्ध नहीं पर 'फ्रीअर गैलरी' में सुरक्षित, चित्रण की शक्ति और शालीनता में अप्रतिम देहात के जादू को काव्य के छंद से अभिव्यक्त 'पीतनद की घाटी में पतझड़' नामक चित्र उसका बनाया कहा जाता है। (पद्मा उपाध्याय)