आर्नल्ड, मैथ्यू (१८२२-१८८८ ई.)-अंग्रेजी के प्रख्यात कवि, प्रांजल गद्यलेखक तथा सुसाहित्यालोयचक। इनका जन्म २४ दिसंबर, १८२२ ई. को टैम्स नदी के समीप लैलेहम नामक स्थान पर हुआ। इनके पिता का नाम डा. टॉमस आर्नल्ड था, जो 'रग्बी' स्कूल के हेडमास्टर थे। मैथ्यू आर्नल्ड की शिक्षा विंचेस्टर रग्बी तथा बेलियल कालेज, आक्सफोर्ड में हुई। १८४४ ई. में इन्होंने बी.ए. आनर्स किया और अगले ही वर्ष ये ऑरियल के फेलो चुन लिए गए। चार वर्ष तक लार्ड लैंसडाउन के निजी सचिव के रूप में कार्य करने के उपरांत १८५१ ई. में इनकी नियुक्ति इंस्पेक्टर ऑव स्कूल्स के पद पर हो गई। इस पद पर वह १८८६ ई. तक काम करते रहे। इसी बीच १८५९ ई. से १८६७ ई. तक इन्होंने आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में अंग्रेजी काव्य के प्रोफेसर पद पर भी कार्य किया। आर्नल्ड ने इंग्लैंड की माध्यमिक तथा उच्चतर शिक्षापद्धतियों में भी अनेक सुधार करने के प्रस्ताव प्रस्तुत किए। इस संबंध में वे कई बार यूरोपीय यात्राओं पर भी गए और विशेष रूप से फ्रांस, जर्मनी तथा हालैंड की शिक्षापद्धतियों का अध्ययन किया। मृत्यु से पाँच वर्ष पूर्व वे अमरीका गए और वहां के विश्वविद्यालयों में साहित्य तथा समाज संबंधी महत्वपूर्ण विषयों पर भाषण दिए। इन भाषणों का संकलन बाद में 'डिस्कोर्सेज़ इन अमरीका' शीर्षक से पुस्तकाकार प्रकाशित हुआ।

आर्नल्ड की समालोचनात्मक कृतियों को तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है-शिक्षा संबंधी-पापुलर एजुकेशन ऑव फ्रांस (१८६१), ए फ्रेंच एटन (१८६३-६४), स्कूल्स ऐंड युनिवर्सिटीज़ आन द कांटिनेंट (१८६८), स्पेशल रिपोर्ट आन एलिमेंटरी एजुकेशन ऐब्राड (१८८६), रिपोर्ट्स आन एलिमेंटरी स्कूल्स (१८८९)।

(२) साहित्य समालोचना-ऑन ट्रांस्लेटिंग होमर, एसेज़ इन क्रिटिसिज्म, (१८६५, १८८८), ऑन द स्टडी ऑव केल्टिक लिटरेचर (१८६७), मिक्स्ड एसेज़ (१८७७), एसेज़ इन क्रिटिसिज्म, सेकेंड सीरीज़ (१८८८)।

(३) सांस्कृतिक रचनाएँ-कल्चर ऐंड ऐनार्की (१८६९), सेंट पाल ऐंड प्रोटेस्टैंटिज्म (१८७०), फ्रेंडशिप्स गार्लैंड (१८७१), लिटरेचर ऐंड डॉग्मा (१८७३), गॉड ऐंड द बाइबिल (१८७५), लास्ट एसेज़ ऑन चर्च ऐंड रिलिजन (१८७७)।

इसके अतिरक्ति इनकी कुछ काव्य कृतियां भी हैं-द स्ट्रेट रेबेलर्स ऐंड अदर पोएम्स (१८४९), एंपिडॉक्लीज़ ऐंड अदर पोएम्स (१८५२), पोएम्स (१८५३), पोएम्स सेकेंड सिरीज़ (१८५५), मेरोपी ए ट्रैजेडी (१८५८), न्यू पोएम्स (१९६७), स्कालर जिप्सी (१८५३), सोहराब ऐंड रुस्तमि (१८५३), डोवर बीच (१८६७), सिरसिस (१८६७) और प्रसिद्ध ऐलेजी 'रग्बी चैपेल'। इनमें अंतिम चार कृतियां लंबी कविताएं हैं।

'द स्टडी आव पोएट्री' में मैथ्यू आर्नल्ड ने कुछ नए आलोचनासिद्धांत प्रस्तुत किए हैं। उनकी मान्यता के अनुसार उच्चस्तरीय कुछ विगत गद्य पद्यांशों को साहित्यिक श्रेष्ठता की कसौटी मानकर साहित्य की मीमांसा करनेवाला ही सही समीक्षक हो सकता है। साहित्य की आलोचना में सांप्रदायिक या अन्य प्रकार की संकीर्णता और व्यक्तिगत दृष्टिकोणों के प्रभाव नहीं होने चाहिए। समालोचना में रचना के वास्तविक गुणधर्म और ऐतिहासिक एवं साहित्यिक गुणों की प्रतिष्ठापना होनी चाहिए। भौतिकता और यंत्र सभ्यता, दोनों के विरोधी मैथ्यु आर्नल्ड की मान्यता के अनुसार कविता 'क्रिटिसिज्म ऑव लाइफ' है और प्रत्येक साहित्यिक कृति का सर्वोच्च गुण 'दाई सीरियसनेस' होना चाहिए। आर्नल्ड की कामना थी कि जीवन की व्यवहारगत क्रूरता तथा कुरूपता के निवारण के लिए साहित्य और संस्कृति में मानव मूल्यों की पुनप्रतिष्ठा हो। इसीलिए वे चाहते थे कि साहित्य को धर्म का स्थान दिया जाए।

(कै.चं.श.)