शाह बदीउद्दीन मदार आपके संबंध में, समय समय पर इतने आख्यान और दंतकथाएँ प्रचलित हो गई कि उनके आधार पर अपके जीवन संबंधी सही तथ्यों का पता लगा सकना अत्यंत कठिन है। केवल इतना ही पता चलता है कि आप आध्यात्मिक दृष्टि से अपने को पैगंबर की वंशपरंपरा का बतलाते थे, पर्दें में रहते थे, २८ नवंबर, १४३६ ई. (१७, जमादिउलअव्वल ८४० हिजरी) को आपकी मृत्यु हुई और कन्नौज के निकट मकनपुर गाँव में आप दफन किए गए।
दाराशुकोह के काल में आपके मृत्युदिवस पर आपके मजार पर पाँच लाख से अधिक व्यक्तियों का जमाव हुआ था। आपके नाम पर आपका पंथ मदारिया कहलाया और आपके अनुयायी 'मदारी' के नाम से विख्यात हुए।
सं. ग्रं. - अब्दुल हक : अखबारुल अखयार, मुजतबई प्रेस, दिल्ली; मुहम्मद गौथी : गुलजरी अबरार हस्तलिखित ग्रंथ, आजाद लाइब्रेरी अलीगढ़; दारा शिकोह : सफीनतुल ओलिया, १८५३, आगरा; अमीर हसन: तजकिरातुल मुताकीन, आजाद प्रेस, कानपुर, १३२३ हि.। (काजी मुईनुद्दीन)