शाहजी (१५९४-१६६४) मालोजी भोंसले के पुत्र शाहजी का जन्म १५ मार्च, १५९४ ई. को हुआ था। इनका उत्कर्ष साधारण परिस्थिति से संघर्षों में प्रविष्ट होकर आरंभ हुआ। ये प्रकृति से साहसी चतुर, साधनसंपन्न तथा दृढ़निश्चयी थे। व्यक्तिगत स्वार्थ से प्रेरित होते हुए भी, पृष्ठभूमि के रूप में, इन्हें महाराष्ट्र के राजनीतिक अभ्युत्थान का प्रथम चरण माना जा सकता है। इनकी प्रथम पत्नी जीजाबाई से महाराष्ट्र के निर्माता शिवाजी का जन्म हुआ तथा दूसरी पत्नी तुकाबाई से तंजोर राज्य के संस्थापक एकोजी का। शाहजी का वास्तविक उत्कर्ष निजामशाही वज़ीर फतहखाँ के समय से प्रारंभ हुआ। निजामशाह की हत्या के बाद, राज्य की संकटाकीर्ण परिस्थिति में, मुगलों की नौकरी छोड़ शाहजी ने दस वर्षीय बालक मुर्तजाशाह द्वितीय को सिंहासनासीन कर (१६३२) मुगलों से तीव्र संघर्ष किया। निजामशाही राज्य की समाप्ति पर इन्होंने बीजापुर राज्य का आश्रय लिया (१६३६)। १६३८ में हिंदू राजाओं का दमन करने के लिए शाहजी भी कर्नाटक भेजे गए; किंतु १६४८ में उनसे संपर्क स्थापित करने के संदेह में सेनानायक मुस्तफाखाँ ने इन्हें बंदी बना लिया। १६४९ में आदिलशाह ने इन्हें विमुक्त कर पुन: कर्नाटक भेजा जहाँ इन्होंने गोलकुंडा के सेनानायक मीरजुमला को परास्त किया (१६५१)। शिवाजी की बढ़ती शक्ति से आतंकित हो, बीजापुर पर शिवजी के आक्रमणों को शाहजी द्वारा स्थगित कराने का प्रयत्न किया गया (१६६२)। तभी, प्राय: बारह वर्ष बाद, पिता पुत्र की भेंट हुई; तथा शाहजी और जीजाबई के टूटे संपर्क पुन: स्थापित हुए। २३ जनवरी, १६६४, को शिकार खेलते समय घोड़े पर से गिरने से शाहजी की मृत्यु हो गई।
सं. ग्रं. - जी. एस. सरदेसाई : दि न्यू हिस्ट्री ऑव दि मराठाज़; जदुनाथ सरकार : शिवाजी; दि हाउस ऑव शिवाजी। (राजेंद्र नागर)