आर्थरीय किंवदंतियाँ ओर आर्थर अंग्रेजी साहित्य की मध्ययुगीन अनुपम देन हैं। इनके केंद्रविंदु हैं कैमलाट नगर के आदर्श शासक तथा योद्धा 'किंग आर्थर' और उनके दरबार के द्वादश वीर जो मानव शौर्य के सर्वोत्तम प्रतीक समझे जाते थे और 'राउंड टेबुल' के उज्वल रत्न थे। आर्थर के व्यक्तित्व में ऐतिहासिक तथ्य के साथ साथ कल्पना का गहरा समन्वय है। वास्तव में वह केल्ट जति के विशिष्ट नायक थे जो संभवत: पांचवीं सदी के अंत में हुए; परंतु कालांतर में इंग्लैंड तथा फ्रांस के कवियों ने उनके चतुर्दिक किंवदंतियों का सुनहला अलंकार बिछा दिया। इन किंवदतियों को क्रमबद्ध करने का श्रेय अनेक लेखकों को है जिनमें ज्युफरी ऑव मानमाउथ तथा मैलोरी के नाम विशेष उल्लेखनीय हैं। मैलोरी के अमर ग्रंथ 'मोर्टड आर्थर' में ये कथाएँ शृंखलाबद्ध होकर अंग्रेजी पाठकों के समक्ष प्रस्तुत हुई और अंग्रेजी साहित्य के लिए अनुपम वरदान सिद्ध हुई। इन किंवदंतियों में मध्यकालीन विचारधारा के मूल तत्वों, अर्थात् ईसाई धर्म, रोमांटिक प्रेम, धार्मिक युद्ध तथा सैनिक जीवन के उच्च आदर्श और विचित्र अंधविश्वासों का गहरा पुट है। मैलोरी के मार्टेड आर्थर की ख्याति १६वीं शताब्दी के उदय से साथ ही आंरभ हुई, एलिजाबेथ युग के प्रसिद्ध कवि स्पेंसर ने अपने महाकाव्य 'फेअरी क्वीन' में किंग आर्थर तथा मरलिन-दो मुख्य पात्रों का समावेश किया और तभी से उस सर्वप्रिय काव्य की ख्याति के साथ साथ इन कथाओं का प्रभाव भी बढ़ता गया और अंत में विक्टोरियन युग के प्रतिनिधि कवि लार्ड टेनिसन ने इनको अपने महाकाव्य 'ईडिल्स ऑव द किंग' में कविता का रंग बिरंगा बाना पहनाया और इन कथाओं में निहित नैतिक तथ्यों की ओर भी पाठकों का ध्यान आकृष्ट किया। यूरोप के अन्य देशों के साहित्य पर भी इनका प्रभाव स्पष्ट है।

सं.ग्रं.-मैलोरी, सर टामस: मार्टेड आर्थर; टेनिसन, लार्ड : ईडिल्स ऑव द किंग; मारगैरेट, ज.सी.रीड: दि आथूरियन लीजेंड्स, १९३३।

(वि.रा.)