शारलट मेरिया टकर (Chorlotte Mariea Tuckor) कुमारी शारलट मेरिया टकर का जन्म २५ दिसंबर, १८२१ ई. को लंदन (इंग्लैंढ) में हुआ था।
इनको लेख लिखने का बचपन से शौक था। इनका प्रथम लेख ''ईश्वरीय देन'' था जो इंग्लैंड की कई पत्रिकाओं में प्रकाशित हुआ। १८४० ई. में वे अच्छी लेखिका मानी जाने लगीं। उनकी पुस्तकें ए. एल. ओ. ई. (ए लेडी ऑव इंग्लैंड) के नाम से प्रकाशित होती थीं। इस कार्य में वह बहुत सफल रहीं।
१८७५ ई. में कुमारी टकर ने मिश्नरी कार्य करने के उद्देश्य से भारत आने का विचार किया। रवाना होने के पहले उन्होंने उर्दू भाषा सीख ली क्योंकि वह साहित्य के द्वारा ही सेवा करना चाहती थीं। भारत में पहुँचते ही उन्होंने उर्दू में कहानियाँ लिखना आरंभ कर दिया। वे अधिकांश यीशु के दृष्टांतों को कहानी रूप में लिखती थीं और उनको ऐसी भाषा और भावनाओं में प्रकट किया करती थीं जो भारतीय आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकें। इसमें उन्हें काफी सफलता मिली।
अमृतसर से वे बटाला गई और वहाँ मुसलमानों के बीच काम करने लगीं। अठारह साल तक मिशनरी सेवा करने के पश्चात् १५ दिसंबर, १८९३ को उनकी मृत्यु हुई। ( मिल्टन चरण)