शनि - (फलित ज्योतिष के अनुसार) सूर्यपुत्र जो नवग्रहों में प्रसिद्ध पापग्रह माने जाते हैं। सती की मृत्यु से दुखी शिव के आँसुओं से ये कृष्ण वर्ण के हो गए। ये महातेजस्वी और अत्यंत तीक्ष्ण स्वभाववाले ग्रह हैं। इनके द्वारा रोहिणी नक्षत्र को पीड़ित करनेवाले योग में संसार के लिए महान् भय उपस्थित होने की सूचना समझी जाती है। ऋतुस्नाता इनकी पत्नी, चित्ररथ की पुत्री ने इनके पत्नीगमन न करने के कारण इन्हें यह शाप दिया था कि यह जिसकी ओर दृष्टिपात करेंगे वह भस्म हो जाएगा। बाल गणेश की ओर दृष्टिपात करने से उनका सिर धड़ से अलग होकर गोलोक में जा गिरा था। पार्वती ने उन्हें शाप दिया किंतु वस्तुत: निर्दोष होने के कारण ग्रहराज को चिरंजीवी और हरिभक्ति परायण होने का वरदान दिया। इन्होंने नरकासुर से युद्ध किया और अश्वत्थ तथा पिप्पल का वध किया था। विश्वामित्र के पचास पुत्र इनके शाप से म्लेच्छ बने थे। ये भावी मन्वंतर में मनु के पद पर आसीन होंगे (महा., शां., ३४९-५५), (चं. भा. पां.)