शकुंतला मेनका से उत्पन्न विश्वामित्र की कन्या जिसे कण्व ने वन में पाया था। कण्व ने इसे पाला पोसा और आश्रम में अपनी कन्या की भाँति रखा जिससे यह प्राय: उन्हीं की पुत्री समझी जाती है। दुष्यंत एवं शकुंतला की प्रेमकथा कालिदास के प्रसिद्ध नाटक में लिखी गई है। शंकुतला के ही पुत्र भरत के नाम पर हमारे देश का नाम भारतवर्ष पड़ा है। कालिदास के नाटक 'शकुंतला' का अनुवाद अंग्रेजी में आज से १०० वर्ष पूर्व हुआ। फिर तो इसके अनुवाद सभी यूरोपीय भाषाओं में प्रकाशित हुए और अनेक देशों में इसका सफल अभिनय भी किया गया। ((स्वर्गीय) रामाज्ञा द्विवेदी.)