व्यूह (Matrices) इस विषय के अंतर्गत हम संख्याओं की अयताकार सरणियों (rectangular arrays) का अध्ययन करते हैं। इस विषय में संख्याओं का एक विशेष प्रकार का विन्यास किया जाता है, अत: इसे व्यूह, या मैट्रिक्स, की संज्ञा दी गई है।
संख्याओं के निम्नलिखित प्रकार के पुंज को सरणी कहते हैं :
१ ५ -७ ६
४ ० -२ -१
अब तनिक इन समीकरणों पर विचार कीजिए :
३य - र + ५ ल = १,
२य + र - ल = -३,
य + २र + ३ ल = ७
इन समीकरणों से दो व्यूहों की उत्पत्ति होती है :
इनमें से पहले दो को गुणांक मैट्रिक्स (Coefficient Matrix) और दूसरे को आगमित मैट्रिक्स (Augmented Matrix) कहते हैं।
सर्वप्रथम सिल्वेस्टर (१८५० ई.) ने व्यूह की यह परिभाषा दी थी कि ''संख्याओं के किसी आयताकार सरणी को, जिसमें से सारणिक (determinants) बन सकें, व्यूह कहते हैं।'' आधुनिक समय में व्यूह को एक अतिसंमिश्र (hypercomplex) संख्या के रूप में मानते हैं। इस दृष्टिकोण के प्रवर्तक हैं मिल्टन (१८५३ ई.) और केली (१८५८ ई.)।
जिस
व्यूह में पंक्तियों (rows) और स्तंभों (columns)
की संख्या समान हो, उसे वर्ग व्यूह या मैट्रिक्स (Square
Matrix) कहते हैं। मान लीजिए का और खा दो स२ वर्ण के वर्ग व्यूह हैं :
क१.१ क१.२.............क१स
क२.१ क२.२.............क२स
का = ........................................................ ,
कस१ कस२.............कसस-
ख१.१ ख१.२............. ख१स
ख२.१ ख२.२............. ख२स
खा = ........................................................
खस१ खस२............. खसस
तो का + खा उस व्यूह को कहेंगे जिसका प्रत्येक घटक (element) का और खा के संगत घटकों का जोड़ हो, और काखा उस व्यूह को कहेंगे जिसकी तवीं पंक्ति और थवें स्तंभ का घटक का की तवीं पंक्ति के घटकों को खा के थवें स्तंभ के घटकों से गुणा करके जोड़ देने से बना हो। इस प्रकार काखा की तवीं पंक्ति और थवें स्तंभ का घटक = कत१ ख१य + कत२ ख२थ +कत३ ख३य + ...कतस खसय। यदि च कोई अदिश (scalar) राशि हो, तो च का उस व्यूह को कहेंगे जिसका प्रत्येक घटक का के संगत घटक को च स गुणा करने से बना हो।
यह सरलता से सिद्ध किया जा सकता है कि व्यूहों का जोड़ सहचरणशील और व्यत्ययशील होता है और गुणन सहचरणीशील तथा वितरणशील होता है, किंतु व्यन्ययशील नहीं होता। उदाहरणार्थ,
श्
=श्श्
किंतु
श्
=श्श्
अत:, साधारणतया, का खा = खा का।
जिस व्यूह में प्रत्येक घटक o हो, उसे o व्यूह कहते हैं। यह व्यूह योग की एकात्म्य (Identity of addition) कहलाता है, क्योंकि यदि का कोई भी व्यूह हो, तो o + का = का + o = का।
जिस व्यूह के विकर्ण का प्रत्येक घटक १ हो और शेष सारे घटक o हों तो एकात्म्य व्यूह कहते हैं, क्योंकि यह गुणन का एकात्म्य (identity of multiplication) होता है। सांकेतिक भाषा में, यदि उक्त व्यूह को I कहें तो का I = I का = का।
जिस व्यूह में विकर्ण के घटकों छोड़कर शेष सारे घटक o हों, उसे विकर्ण व्यूह या मैट्रिक्स (Diagonal Matrix) कहते हैं।
सं. ग्रं. - सी. सी. मेक्डफी : दि थियोरी ऑव मैट्रिसेज, बर्लिन १९३२; जे. एच. एम. वेडरवर्न : लेक्चर ऑन मैट्रिसेज, न्यूयार्क १८३४। (ब्रज मोहन)