वोयेल्कर, जे.ए. (Voelcker, J.A.) इंग्लैंड के सुप्रसिद्ध भूमिरसायनज्ञ (sol chemist) थे। इन्होंने विश्वविख्यात रॉथस्टेड अनुसंधान केंद्र में भूमि से होनेवाली खनिज क्षति का पता लगाया। जब विभिन्न प्रकार की मिट्टीयों में नाइट्रोजनी, फ़ॉस्फोरिक अथवा पोटैशीय उर्वरक मिलाए जाते हैं, तब पोषक तत्वों की क्षति पर कैसा प्रभाव पड़ता है, इसका सूक्ष्म अध्ययन इन्होंने किया। परीक्षणों से यह देखा गया कि अमोनियम लवणों के कारण कैल्सियम, मैग्नीशियम आदि की क्षति में वृद्धि होती है।
सन् १८८९ में तत्कालीन अंग्रेजी सरकार के आमंत्रण पर ये भारत आए और दक्षिण भारत से अपना भ्रमण प्रारंभ कर बंगाल, उत्तरप्रदेश तथा पंजाब का दौरा किया। सन् १८९१ ये में वापस चले गए। इन्होंने भारतीय कृषि की जो अवस्था देखी, इंग्लैंड पहुँचकर उसके संबंध में अपने विचारों को पुस्तकाकार रूप में, 'भारतीय कृषि के सुधार' (Improvements of Indian Agriculture) के नाम से प्रकाशित किया। यह पुस्तक भारतीय कृषि के विविध पक्षों पर सूचना देने में समर्थ है।
भारतीय कृषि के संबंध में व्यक्त किए गए इनके अनेक विचारों से कृषि के उन्नयन में योग मिला है। (शव गोपाल मिश्र)