वैनेडियम (Vanadium) आवर्त सारणी के पंचम अंतर्वर्ती समूह का पहला तत्व है। इसका केवल एक स्थायी समस्थानिक, जिसका द्रव्यमान ५१ है, प्राप्त है। कृत्रिम रूप से इससे चार रेडियोऐक्टिव समस्थानिक प्राप्त हुए हैं, जिनकी द्रव्यमानसंख्या ४७, ४८, ४९ और ५२ है।

सन् १८०१ में डेल रिओ (Del Rio) ने वैनेडाइट (Vanadite) खनिज में एक नए तव की खोज की, जिसका नाम उन्होंने ऐर्थ्राोनियम (Erythronium) रखा। १८३० ई. में स्कैडिनेविया के वैज्ञानिक, सेफस्ट्रम (Sefstrom), ने इस तत्व के यौगिक को लौह के धातुमल से अलग किया। विलीन अवस्था में यह अनेक रग प्रदर्शित करता था। इस कारण सेफस्ट्रम ने इस तत्व का नाम सुंदरता की देवी, वैनेडिस, के आधार पर वैनेडियम रखा। उसी वर्ष यह भी ज्ञात हुआ कि एर्थ्राोिनियम और वैनेडियम एक ही तत्व है। बर्ज़ीलियस ने वैनडियम तत्व और उसके यौगिकों के गुणधर्मों की भली प्रकार जाँच की।

पैट्रोनाइट (Patronite) वैनेडियम का मुख्य अयस्क है, जिसमें वैनेडियम सल्फाइड यौगिक उपस्थित रहता है। यह मुख्यकर दक्षिणी अमरीका के पेरू प्रदेश में पाया जाता है। कार्नोटाइट और वैनेडिनाइट द्वारा भी वैनेडियम प्राप्त किया जाता है।

वैनेडियम अयस्क (मुख्यकर पैट्रोनाइट) को सोडियम कार्बोनेट से संगलित कर, जल द्वारा निष्कर्षित करते हैं। प्राप्त विलयन में अमोनियम क्लोराइउ डालने पर अमोनियम वैनेडेट का अवक्षेप प्राप्त होता है। इसे दहन कर वैनेडियम पेंटाऑक्साइड प्राप्त हो सकता है तथा अन्य यौगिक भी प्राप्त हो सकते हैं।

वैनेडियम धातु अनेक अपचयन क्रियाओं द्वारा प्राप्त हो सकती है। वैनेडियम डाइक्लोराइड पर हाइड्रोजन गैस की क्रिया, वैनेडियम पेंटाऑक्साइड पर विरल मृदा धातुओं के संमिश्रण द्वारा अपचयन, अथवा हाइड्रोक्लोरिक अम्ल में सोडियम वैनेडेट के विलयन के विद्युत् अपघटन द्वारा वैनेडियम धातु मिलती है।

गुणधर्म - वैनेडियम चमकदार श्वेत रंग की धातु है। इसके प्रधान भौतिक गुणधर्म ये हैं : संकेत वै (V), परमाणु संख्या २३, परमाणु भार ५०.९४, गलनांक १७३५ सें., क्वथनांक ३,४०० सें. तथा आपेक्षिक घनत्व ५.९६ हैं।

वैनेडियम वायु में अप्रभावित रहता है। इसपर हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, शीतल सल्फ्यूरिक अम्ल, विलेय क्षार या ब्रोमीन जल द्वारा कोई क्रिया नहीं होती है। वैनेडियम हाइड्रोफ्लारिक अम्ल तथा गरम सल्फ्यूरिक अम्ल में घुलकर, हरा विलयन बनाता है। वैनेडियम पर पिघला कॉस्टिक पोटैश, या पोटैशियम नाइट्रेट, क्रिया कर पोटैशियम वैनडेट बनाते हैं।

यौगिक - वैनेडियम के २, ३, ४ और ५ संयोजकता के यौगिक बनते हैं। वैनेडियम के ५ संयोजकता के यौगिक अपचयन द्वारा क्रमश:, ४, ३ तथा २ संयोजकता की अवस्था में आते हैं। इस क्रिया द्वारा विलयन के रंग में अनेक परिवर्तन होते हैं, क्योंकि प्रत्येक संयोजित अवस्था के विभिन्न रंग हैं (२ का गहरा बैंगनी, ३ का हरा, ४ का नीला, ५ का पीला या नारंगी)।

वैनेडियम पेंटाऑक्साइड, (V2 O5), अमोनियम वैनेडेट के ज्वलन द्वारा, पीले-लाल रंग के क्रिस्टल के रूप में बनता है। यह क्षार में घुलकर वैनेडेट यौगिक बनाता है। इसके द्वारा अनेक जटिल यौगिक बनाए गए हैं। इसके मंद अपचयन के फलस्वरूप नीला रंग लिए वैनेडियम ट्रेट्रॉक्साइड (V2 O4) बनेगा। वैनेडियम पेंटाऑक्साइड, (V2 O5), का हाइड्रोजन द्वारा अपचयन करने पर काले रंग का वैनेडियम ट्राइऑक्साइड, (V2 O3), बनता है। इसके द्वारा और त्रिसंयोजी यौगिक बनाए जाते हैं। इन ऑक्साइडों को पोटैशियम द्वारा अपचयित कर, वैनेडस ऑक्साइड, (V O) बनाया जाता है। वैनेडस ऑक्साइड और वैनेडिकऑक्साइड (V2 O3) में क्षारीय गुण प्रधान हैं।

वैनेडियम ट्राइसल्फेट, [V2 (SO4)3], अमोनियम या अन्य क्षारीय सल्फेटों से मिलकर, वैनेडियम ऐलम बनाता है। क्लोरीन के साथ इसके तीन क्लोराइड ज्ञात है। वैनेडस यौगिक तीव्र अपचायक (reductors) होते हैं।

उपयोग - इस्पात उद्योग में वैनेडियम धातु का बहुत उपयोग होता है। इस निमित्त एक मिश्रधातु फेरोवैनेडियम (Ferovanadium) लौह वैनेडेट के अपचयन द्वारा बनाई जाती है। इस्पात में वैनेडियम की सूक्ष्म मात्रा डालने से इस्पात की दृढ़ता और चीमड़पन बहुत बढ़ जाता है। वैनेडियम यौगिक अनेक रासायनिक क्रियाओं में उत्प्रेरक के रूप में काम आते हैं। इसके कुछ यौगिक कृमिनाशक हैं तथा चिकित्सा में उपयोग में आते हैं। (रमेश चंद्र कपूर)