वेर्नर, ऐब्राहम गॉटलाव (Werner, Abraham Gottlob, सन् १७५०-१८१७) जर्मन भूविज्ञानी का जन्म लुसेशिया मे २५ सितंबर, १७५० ई. को हुआ था। आपकी शिक्षा बुज़लाउ, साइलेशिया, में, फ्राइबुर्ग के खनन स्कूल में तथा लाइप्ज़िग (Leipzig) मे हुई। सन् १७७५ में फ्राइबुर्ग खनन स्कूल में आपकी नियुक्ति निरीक्षक और अध्यापक के पद पर हुई। निरंतर चालीस वर्ष तक इस स्कूल की सेवा में रहकर, आपने इसे खनन शिक्षा के लिए विश्व के विख्यात केंद्रों में से एक बना दिया।

आपको 'जर्मन भूविज्ञान के पिता' कहा जाता है। भूविज्ञान की प्रवृत्तियों को समझाने के लिए आपने एक नई विचारधारा प्रस्तुत की, जो जलवादी विचारधारा (Neptunist school) के नाम से विख्यात हुई। आपकी विचारधारा के अनुसार प्राथमिक शिलाओं के अतिरिक्त सभी शिलाएँ जल में बनीं। आपने वैसाल्ट का उद्गम भी जल में ही माना है। ज्वालामुखी का कारण भी आपने अंत: भूमिक कोयले के स्तरों (coal beds) के आग लगना बतलाया।

वेर्नर की इन मान्यताओं पर भौमिकी के क्षेत्र में बड़ा वादविवाद उत्पन्न हुआ। अग्निवादियों (Vulcanists) ने जलवादी विचारधारा का घोर विरोध किया और इन्होंने भूचाल, ज्वालामुखी आदि का कारण पृथ्वी में विद्यमान आग्नेय शक्ति को बतलाया। यद्यपि वेर्नर की बहुत सी मान्यताएँ निर्मूल प्रमाणित हुई, तथापि भूविज्ञान के क्षेत्र में शिलाओं की क्रमिक व्यवस्था आपकी सबसे बड़ी देन हैं। आपने फाँसिलों का अध्ययन कर बतलाया कि भिन्न-भिन्न शिलओं में जो फॉसिल पाए जाते हैं, उनका उन शिलाओं की आयु से अटूट संबंध है। लगभग ६७ वर्ष को अवस्था में ३० जून, सन् १८१७ को फ्राइबुर्ग में आपका देहावसान हो गया। (महाराज नारायण मेहरोत्रा)