वैरोनेजे, पाओलो (१५२८-१५८८) वेनिस का विख्यात चित्रकार। पाओलो वेरोनेजे रेनेसाँ काल के वेनीशियन स्कूल का अंतिम महान् कलाकार माना जाता है। बहुत से कला आलोचक उसे टिशां (Titian) तथा टिंटोरेट्टो (Tintoretto) के समकक्ष रखते हैं। अपने समकालीन अन्य प्रसिद्ध कलाकारों की भाँति वह भी धार्मिक कथाकहानियों का ही अधिकतर चित्रण करता था। उसके प्रसिद्ध चित्रों में सेंट हेलीना (St Helena) 'द मैरेज ऐटकाना', तथा 'द मार्टर्डम ऑव् सेंट सेबास्चियन' उल्लेखनीय हैं। उसके चित्रों की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वह प्राचीन कथा कहानियों का चित्रण करते हुए भी उनके पात्रों को अपने ढंग से समकालीन रुचि के अनुसार वेशभूषा देकर परिवर्तित करके अंकित करता था। फिर भी उसके चित्रों में आकर्षण बना रहता था। उसकी शैली अत्यंत व्यक्तिगत तथा मौलिक थी। उसके चित्रों में अनावश्यक जटिलता जरा भी नहीं थी और सीधी सरल शैली में पूरी सचाई के साथ वह पात्रों को चित्रित करता था। वह अपने चित्रों में कभी उपदेशात्मक बातों को स्थान नहीं देता था, न कुछ सोचने विचाने के लिए ही छोड़ता था। वह बृहत् आकारों के कैनवसों पर चित्र बनाना पसंद करता था, फिर भी चित्रसंयोजन (कांपोजीशन) की उसमें अद्भुत शक्ति तथा प्रवीणता थी। उसके चित्रों में अनेक व्यक्तियों के घने समूह वित्रित हुए हैं, फिर भी उसमें न तो जटिलता दिखाई पड़ती है, न संकोच। अधिकतर चित्र वेसि के सेंट सेबास्चियन के चर्च में मौजूद हैं।
'सेंट हेलीना' उसका बहुत ही लोकप्रिय चित्र है। इस चित्र का आधार भी एक प्रचलित कथा है जिसमें कांसटेंटाइन द ग्रेट की माता सेंट हेलीना स्वप्न में देखती है कि उसे उस स्थान का पता लग गया है जहाँ क्राइस्ट जिस क्रास पर टाँगे गए थे वह गड़ा है। इस चित्र में सेंट हेलीना को वही स्वप्न देखते हुए दिखाया गया है। इसमें सेंट हेलीना की आकृति, उसका लिबास तथा मुद्राएँ बड़े ही लयात्मक रूप में स्वप्निल मनोस्थिति का दिग्दर्शन कराती हैं। (राम चंद्र शुक्ल)