वृंदावनदास ठाकुर इनके पिता कुमारहद निवासी बैकुंठनाथ ठाकुर थे। नवद्वीप में सं. १५८२ में इनका जन्म हुआ। कुछ दिन अनंतर माता के साथ यह कुमारहद लौट गए, जहाँ इनकी माता का भी शरीरांत हो गया। इन्होंने चैतन्य मंगल ग्रंथ लिखा है, जो बाद में चैतन्य भागवत नाम से प्रसिद्ध हुआ। यह बंगला भाषा का आदि काव्य ग्रंथ माना जाता है। कृष्णदास कविराज ने इसकी बड़ी प्रशंसा अपने ग्रंथ चैतन्य चरितामृत में की है और कवि कर्णपूर ने इन्हें व्यास का अवतार कहा है। अंतिम अवस्था में ये वृंदावन गए। इनकी अन्य रचनाएँ हैं श्रीनित्यानंद चरितामृत, आनंदलहरी, तत्वसार, तत्वविलास, भक्तिचिंतामणि आदि। ( ब्रज रत्न दास)