विसेलियस, आंद्रेऐस, (Vesalius, Andreas, सन् १५१४-१५४६) बेल्जियमवासी, शारीर वैज्ञानिक, का जन्म ब्रसल्ज़ नामक नगर में हुआ था। इन्होंने लूवैं में सिल्वियन तथा जीहैनीज़ गंथर से शिक्षा पाई थी।

सन् १५३७ में इन्होंने मुस्लिम, ईरानी चिकित्सक रेज़ीज़ (Rhazes) के एक ग्रंथ का संपादन किया और तब वेनिस के पैडुआ विश्वविद्यालय से एम.डी. की उपाधि प्राप्त की। यहीं ये शल्यचिकित्सा तथा शारीरविज्ञान के आचार्य नियुक्त हुए। सन् १५३८ में इन्होंने कुछ सुधार कर, किंतु गैलेन (Galen) की विचार-पद्धति पर आधारित, छह शारीर-विज्ञान-सारणियों का प्रकाशन किया। सन् १५३९ में इन्होंने रक्तमोक्षण (blood-letting) पर एक लेख लिखा तथा सन् १५४१ में गैलेन के तीन ग्रंथों का संपादन किया। सन् १५४३ में इनका फैब्रिका (Fabrica) ग्रंथ एपिटोम (Epitome) के साथ प्रकाशित हुआ। बाद में ये बादशाह चार्ल्स पाँचवें तथा उनके उत्तराधिकारी फिलिप दूसरे के चिकित्सक के पद पर रहे।

विसेलियस को सर्वोच्च शारीर वैज्ञानिक कहा जाता है और मानव शरीर को रचना पर इनके ग्रंथ की गणना इस विषय के सर्वोत्कृष्ट ग्रंथों में होती है। इसमें अस्थियों और तंत्रिकातंत्र के वर्णन तो उत्कृष्ट हैं ही, पर पेशियों के वर्णन के लिए यह विशेषकर प्रसिद्ध है। विसेलियस ने अध्यापन करते समय स्वयं विच्छेदन (dissection) कर, शारीरविज्ञान की शिक्षा प्रणाली में क्रांति ला दी। (भगवान दास वर्मा)