विषाक्त पादप साधारणत: विषाक्त पादप ऐसे पौधे होते हैं जिनका समस्त अथवा थोड़ा अंश किसी भी दशा में खा लेने पर, किसी किसी में केवल स्पर्शमात्र से भी, हानिकारक परिस्थिति पैदा हो जाती है। इसके फलस्वरूप तत्काल मृत्यु हो सकती है।
विषाक्त पौधों में निश्चित रूप से विषैले पदार्थ रहते हैं। विषैले पदार्थ कई रासायनिक तत्वों के सम्मिश्रण से बने होते हैं। ऐसे पदार्थ १. ऐमिन, २. प्युरिन, ३. ऐल्केलॉयड, ४. ग्लुकोसाइड तथा ५. सैपोनिन हैं। कुछ प्रोटीन भी विषैले होते हैं। कार्बोलिक अम्ल, ऑक्सैलिक अम्ल के कारण भी कुछ पौधे विषाक्त होते हैं।
छोटे से लेकर बड़े बड़े वृक्ष तक विषाक्त होते हैं। कुछ एक कोशिका वैक्टीरिया, कुछ शैवाल, जैसे माइक्रोसिस्टस (Microcystus) और एनाबीना (Anabaena) भी विषाक्त होते हैं। कुछ कवक, जैसे क्लेविसेप्स (claviceps), मशरूम आदि भी, विषाक्त होते हैं। विषैले मशरूम कई प्रकार के होते हैं। कुछ आँत को, कुछ रूधिर को, कुछ तंत्रिकातंत्र को, कुछ मस्तिष्क को और कुछ नेत्रों को आक्रांत करते हैं।
विषाक्त पादपों में एकोनिटम नैपेलस (Aconitum napelus), (देखें बच्छनाभ), रैननकुलस स्क्लेरेटस (Ranunculus scleratus), एनोना स्क्वैमोसा (Anona squamosa), भड़भाड़ (Argemone mexicana, बिहार में इसे 'घमोई' कहते हैं), सत्यानाशी, अफीम (देखें, अफीम), (देखें, कुचिला), तथा मदार (calotropis) हैं। भड़भाँड़ के बीज काले सरसों के ऐसे और आकार के होते हैं। इसके तेल के खाने से बेरी बेरी से मिलता जुलता रोग होता है।
सं. ग्रं. - रामनाथ चोपड़ा और एस. जी. घोष : विषाक्त पौधा (१९४९)। (रमा शंकर द्विवेदी)