विश्वामित्र गोत्रसूची में यह नाम है। अत: विश्वामित्र नाम के अनेक व्यक्ति होंगे, यह निश्चित है। वस्तुत: वैदिक वाङ्मय के विश्वामित्र और पुराणादि में पठित विश्वामित्र (जिनकी अनेक कथाएँ मिलती हैं) एक व्यक्ति नहीं है, बल्कि इस गोत्र के विभिन्न व्यक्ति हैं, जो विभिन्न काल में हुए थे। श्रुति पुराणादि में विश्वामित्र संबंधी कथाओं के सूक्ष्म अध्ययन से कई पृथक् विश्वामित्रों की सत्ता ज्ञात होती है, जैसा पर्जिटर महोदय ने दिखाया है (Ancient Indian Historical Tradition, Ch-XXI)। वेदोक्त सुदास् नामक राजा से सबंधित विश्वामित्र, अयोध्याराज कल्माषपाद नृप से संबंधित विश्वामित्र, ताड़कानिधनकारी राम का सहायक विश्वामित्र एवं मेनका के गर्भ में शकुंतला को जन्म देनेवाला विश्वामित्र एक व्यक्ति नहीं हो सकता - ऐसा ज्ञात होता है।
कान्यकुब्जनृप कुशिकपुत्र गाधि का पुत्र विश्वामित्र पुराणों में बहुधा निर्दिष्ट हुआ है। वसिष्ठ के पुत्रों का नाश, स्नानादि की सुविधा के लिए कोशिकी नदी का निर्माण, नंदिनी धेनु के अपहरण को लेकर वसिष्ठ के साथ विवाद करना और उनके तपोबल से पराजित होकर ब्राह्मण्य लाभ के लिए यत्न करना इत्यादि कथाएँ बार बार इतिहास पुराण में कही गई हैं।
विश्वामित्र के मधुच्छंदा: अष्टक आदि कई पुत्र हैं। ये सब पुत्र विभिन्न विश्वामित्रों के हैं - यह ज्ञात होता है। इसके वंशजों ने अनेक गोत्रों की प्रवर्तना की जिनमें देवरात, जाबाल, गालव, पाणिनि, सुश्रुत, याज्ञवल्क्य आदि नाम प्रसिद्ध हैं।
विश्वामित्र के मधुच्छंदा: अष्टक आदि कई पुत्र हैं। ये सब पुत्र विभिन्न विश्वामित्रों के हैं - यह ज्ञात होता है। इसके वंशजों ने अनेक गोत्रों की प्रवर्तना की जिनमें देवरात, जाबाल, गालब, पाणिनि, सुश्रुत, याज्ञवल्क्य आदि नाम प्रसिद्ध है।
विश्वामित्र के साथ कई शास्त्रों का संबंध है। किसी विश्वामित्र ने भरद्वाज से आयुर्वेदाध्ययन किया, यह चरक से ज्ञात होता है। शाङ्खायन आरण्यक से विदित होता है कि किसी विश्वामित्र ने इंद्र से यज्ञज्ञान प्राप्त किया। धनुर्वेदाचार्यो में विश्वामित्र का नाम है - यह प्रपंचहृदय के वाक्य से ज्ञात होता है। विश्वामित्र स्मृतिकार भी है। ये से विश्वामित्र विभिन्न व्यक्ति है, ऐसा मानना ही संगत प्रतीत होता है। (रामशंकर भट्टाचार्य)