विल्क्स, जॉन इंग्लैंड के एक धनौ व्यवसायी के घर क्लेर्कनवेल में १७ अक्टूबर १७२७ को विल्क्स का जन्म हुआ। लाइडेन विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त कर १७४९ में, आयु में दस वर्ष बड़ी, धनी घराने की उत्तराधिकारिणी, कन्या, मीड से उसने विवाह किया। पुत्री के जन्म के बाद दोनों का संबंधविच्छेद हो गया। इस प्रसंग में विल्क्स के चरित्र की निंदा भी हुई। वह बकिंघमशिर चला गया और वहीं रहने लगा। कुछ काल में काउंटी के शैरिफ के पद पर नियुक्त हो गया। १७५७ में एल्सबरी के नगर क्षेत्र में वह कॉमंस सभा का सदस्य निर्वाचित हुअ। वह ह्विग पार्टी का उत्कट समर्थक था। विरोधी टोरी पार्टी की तीखी आलोचना के कारण वह शीघ्र प्रसिद्ध हो गया। ब्यूट मंत्रिमंडल की सरकारी नीति के खंडन के उद्देश्य से जून १७६२ में उसने 'नार्थ ब्रिटन' नाम का सामूहिक पत्र निकाला। पत्र के ४५ वें अंक में पेरिस संधि के संबंध में उसने राजा जॉर्ज तृतीय पर असत्य कथन का अरोप किया। राजा के आदेश से व्यक्तियों और वस्तुओं के नाम-रहित साधारण वारंट के आधार पर उसके घर की तलाशी हुई। कुछ अन्य कागज पत्रों के साथ ४५ वें अंक की प्रतियाँ उठा ली गईं और विल्क्स सहित ४९ व्यक्तियों को गिरफ्तार कर कारागार में भेजा गया। गिरफ्तारी से मुक्ति पाने के पार्लमेंट के सदस्य के विशेष अधिकार के नाम पर विल्वस ने अपनी मुक्ति की माँग की। न्यायाधीश ने उसका मुक्त कर दिया पर प्रधान मंत्री ग्रैनविल ने १७६३ के नवंबर मास में कॉमंस सभा से ४५ वें अंक के लेख को 'असत्य, राजद्रोहात्मक और अपमानजनक' घोषित करा दिया, उसकी प्रतियों को सार्वजनिक रूप से जलाने का आदेश और ऐसे लेख के संबंध में कारामुक्ति के विशेष अधिकार के लागू न होने का निर्णय भी दिलाया। विल्क्स सफाई देने के लिए कॉमंस सभा में नहीं गया। सभा ने उसको सदस्या से हटा दिया। वह फ्रांस चला गया। न्यायालय में भी उसके विरुद्ध अभियोग था। उसके उपस्थित न होने के कारण न्यायालय ने भी उसको विद्रोही घोषित कर दिया। साधारण वारंट के मामले में विल्क्स की विजय हुई। १७६५ में प्रधान न्यायाधीश प्रैट ने साधारण वारंट के उपयोग को अवैध घोषित किया। हानि की पूर्ति के लिए १,००० पौंड सरकार से विल्क्स को दिलाए। चार वर्ष बाद अवैध गिरफ्तारी और काराबंदी के लिए भी न्यायालय के निर्णय से उसने ४,००० पौंड सरकार से वसूल किए। इसी बीच में लॉर्ड सभा के दो सदस्यों के नाम से संबद्ध 'ऐसे ऑन वूमन' अपमानजनक और कुरुचिपूर्ण कविता के प्रकाशन का आरोप लगाकर लॉर्ड सभा ने भी विल्क्स की गिरफ़्तारी का आदेश निकाला किंतु वह पहले ही देश से बाहर चला गया था। अपनी अनुपस्थिति में ही प्रजा की सहानुभूति उसको प्राप्त हो गई थी। लंदन की कौंसिल ने प्रजा की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए उसको धन्यवाद दिया थास्। १७६८ में यह इंग्लैंड लौट आया। मिडिलसैक्स की काउंटी ने उसको कॉमस सभा का सदस्य निर्वाचित किया था पर विद्रोही घोषित होने के कारण वह गिरफ्तार कर लिया गया। विद्रोह के कलंक से न्यायालय ने उसको मुक्त कर दिया पर ४५ वें अंक के लेख के मामले में २२ मास के कारावास और १,००० पौंड जुरमाने का दंड उसको दिया । पार्लियामेंट के अधिवेशन के उद्घाटन के दिन कॉमंस सभा में उसको ले जाने के लिए बड़ी संख्या में प्रजा कारागार के द्वार पर पहुंच गई। उसको हटाने में सरकार को सेना का उपयोग करना पड़ा और कुछ रक्तपात भी हुआ। जूनियस के नाम से 'पब्लिक एडवर्टाइजर' में राज्य सचिव लॉर्ड वेमथ की इस कांड में निंदा प्रकाशित हुई। लेख का जनक विल्क्स को मानकर लॉर्ड सभा ने उसपर विचार किया और लेख को उद्दंडतापूर्ण, निंदायुक्त तथा राजद्रोहात्मक घोषित कर यह मामला कॉमंस सभा को सौंपा गया। विल्क्स ने लेखक होना स्वीकार किया। सभा ने लेख के संबंध में लॉर्ड सभा के निर्णय को मान लिया और इस बार भी विल्क्स को सदस्यता से वंचित कर दिया। नए चुनाव का आदेश होने पर काउंटी ने फिर विल्क्स को निर्वाचित किया पर सभा ने उसको सदस्य नहीं माना। चौथी बार भी काउंटी ने उसको ही अपना प्रतिनिधि चुना पर इस बार सभा ने ८४७ मतों से पराजित उसके प्रतिद्वंदी लटरैल को सदस्य घोषित कर दिया। इस संघर्ष ने विल्क्स को अत्यंत लोकप्रिय बना दिया। कारागार में उसको मूल्यवान भेंटें मिलती रहीं। ऋणामुक्त कराने के लिए प्रजा ने २०,००० पौंड एकत्र कर उसको दिए। १७७० में वह कारागार से मुक्त हो गया और अगले वर्ष लंदन का शैरिफ़ चुना गया। इस पद पर कार्य करते हुए कई बार जवाबदेही के लिए उसे कॉमंस सभा में बुलाया गया पर मिडिलसेक्स के सदस्य की हैसियत के अतिरिक्त उसने सभा में जाने से इनकार कर दिया। पार्लियामेंट की कार्रवाई के प्रकाशन के संबंध में १७७३ में कुछ मुद्रकों को उसने अपराधमुक्त कर दिया था। उसका यह कार्य प्रकाशन की सुविधा दिलाने में सहायक हुआ। १७७४ में वह लंदन का मेयर नियुक्त हुआ और उस वर्ष ही मिडिलसेक्स की काउंटी ने उसको फिर अपना प्रतिनिधि निर्वाचित किया। अगले सोलह वर्षों तकवह इस क्षेत्र से प्रत्येक अवसर पर चुना जाता रहा। पार्लमेंट की निर्वाचन प्रणाली के दोषों को दूर करने के लिए उसने १७७४ में एक महत्वपूर्ण योजना पार्लियामेंट में प्रस्तुत की थी। १७७९ में वह लंदन नगर का चेंबरलिन नियुक्त हुआ और जीवन के अंत तक इस प्रतिष्ठित पद पर रहा। १७८४ में कॉमंस सभा ने उसके निर्वाचन संबंधी अनुचित कार्रवाई को पार्लियामेंट के खाते से निकालने का प्रस्ताव मान लिया था। सार्वजनिक हित के कार्यों और प्रजा की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए विल्क्स सदा कार्यरत रहा। उस काल में 'विल्वस और स्वतंत्रता' प्रजा का नारा बन गया था। २७ दिसंबर, १७९७ को सत्तर वर्ष की आयु में लंदन नगर में विल्क्स की मृत्यु हुई। (श्रीाचंद्र पांडेय)