विमा, मात्रकों की (Dimension of Units) जब हम किसी राशि के परिमाण का वर्णन करते हैं, तब उसे उसी के प्रकार के मात्रक के पदों में व्यक्त करते हैं। हम मात्रक का वर्णन करते हैं और यह बताते हैं कि राशि का मात्रक से क्या अनुपात है। उक्त अनुपात को मात्रक के पदों में राशि की माप अथवा नाप कहते हैं। जब हम कहते हैं कि अमुक व्यक्ति की ऊँचाई ६ फुट है तब उक्त कथन में मात्रक फुट है और नाप ६ फुट=२ गज=७२ इंच। किसी राशि की नाप और मात्रक का गुणनफल सदैव एक सा रहता है। यदि किसी राशि की नाप अ, अ (D) हो तथा मात्रक क्रमश: (क), (क) {[K] [K]} हों तो

[] = [],

{a [K] = a [K]}

अर्थात् [] : [] =

अत: जिस मात्रक में कोई राशि नापी जाती है, वह नाप की व्युत्क्रमानुपाती (inversely proportional) होती है।

विमा (Dimension) - ऋतु रेखा में केवल लंबाई होती है। अत: हम कहते हैं कि ऋतु रेखा में लंबाई में एक ही विमा होती है, जिसे (ल) या (L) से निरूपित करते हैं। यह लंबाई का मूल मात्रक है। य (x) फुट लंबाई और र (y) फुट चौड़ाई के आयत का क्षेत्रफल य र (फुट), {x y (ft)2} होता है, जिसमें दो लंबाइयाँ गुणित होती हैं। अन्य मूल मात्रक समय (स) या (T) और द्रव्यमान (द) या (M) होते हैं। शेष समस्त मात्रक इन्हीं तीनों पर आवृत होते हैं और व्युत्पन्न (derived) मात्रक कहलाते हैं।

जब (t) सेकंड में लंबाई (१) फुट तय होती है, तब वेग श्होता है, न कि केवल ल/स, (l/t) और हम इसे इस प्रकार लिखते हैं :

वेग == श्(फुट) (सेकंड)- अथवा फुट प्रति सेकंड और इसकी विमा (ल स-), (L T-1) है।

त्वरण =

जिसकी विमा (ल स-), {[L T-2]} है। जब हम कहते हैं कि किसी राशि की विमा लंबाई, समय और द्रव्यमान में अ (a), इ (b), उ (g) है, तो इसका यह अर्थ होता है कि जिस मात्रक के पदों में उक्त राशि नापी गई है, वह

[], [], []

{[La], [Tb], [Mg]}

का अनुक्रमानुपाती (directly proportional) है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि लंबाइयाँ गुणित हुई हैं, समय गुणित हुए हैं और द्रव्यमान गुणित हुए हैं। इस प्रकार हम कहते हैं कि वेग के मात्रक की विमा लंबाई में १ और समय में -१ है।

समघातता का सिद्धांत (Principle of Homogeneity) - एक आधारभूत तथ्य, जिसके द्वारा विमों के ज्ञान का महत्व दृष्टिगोचर होता है, यह है कि हम एक ही प्रकार की वस्तुओं का योग, व्याकलन और समीकरण कर सकते हैं। हम जितना चाहें लंबाइयों में लंबाई, समयों में समय अथवा वेगों में वेग को जोड़ सकते हैं, किंतु लंबाई में समय अथवा वेग जोड़ने का कोई अर्थ नहीं है। इस प्रकार किसी भौतिक समीकरण में समस्त पदों की एक ही विमा होनी चाहए। किसी भी पद में कई कई गुणनखंड हो सकते हैं और प्रत्येक गुणनखंड की विमा भिन्न हो सकती है, किंतु प्रत्येक पद के समस्त गुणनखंडों को मिलाकर एक ही विमा होनी चाहिए, जैसे यदि त्वरण अचर (constant) हो तो

तय किया गया अवकाश = श्क स,

(space described = a t2)

अर्थात् [] = [ल स=. स] = []

���������������������� {[L] = [L T=2. T2] = [L]}

दोनों पक्षों की एक ही विमा है, यद्यपि दाहिने पक्ष में विभिन्न गुणनखंडों की विमाएँ भिन्न भिन्न हैं।

फिर, कार्य == बल दूरी

{work = F S = force distance}

\ [कार्य] = [द ल स-. ल] = [द ल-].

{[work] = [M L T-2. L] = [M L2 T-2]}

और गतिज ऊर्जा = श्द व,

(kinetic energy = 1/2 mv2)

\ [ऊर्जा] = [द ल-]

or {[energy] = [M L2 T-2]}

अत: कार्य और ऊर्जा की विमा एक सी होती है।

महत्व - इस विषय का महत्व इस बात में है कि इसके द्वारा भौतिकी के प्रश्नों के आंशिक हल निकल आते हैं और बहुत से फलों की जाँच उनकी अंतर्मुक्त विमाओं द्वारा हो जाती है। केवल विमाओं के विवेचन से बहुत से सूत्र, सांख्यिक अचरों को छोड़कर, पूर्ण रूप से निकल आते हैं। (१) लंबाई की एक डोरी द्वारा, (M) द्रव्यमान का कोई पदार्थ एक स्थिर बिंदु से बाँधने से एक सरल दोलक (simple pendulum) बन जाता है। उक्त दोलक का दोलनकाल (time of oscillation) लंबाई ल (१), द्रव्यमान (m) और गुरुत्वाकर्षण गु, (g) पर आश्रित होता है। यदि हम मान लें कि समय गु(ma lb gg) के अनुपात में परिणमन करता है (varies), तो विमाओं के पदों में हम उसे इस प्रकार व्यक्त करेंगे :

[] = [] [] [-२इ] = [] [+-२उ]

[T] = [M]a [L]b [LgT-2g] = [M]a [L+b+gT-2g]

किसी मूल मात्रक के घातांकों का जोड़ दोनों वक्षों में एक सा होना चाहिए। अत:, समय के घातांकों के विचार से

= २ उ, (१ = -g)

इसी प्रकार,

+= o, (b+g= o), अ = o, (a = o)

= -१/२ और इ = १/२, (g = -१/२) and (b = १/२)

अतएव दोलन काल, श्का अनुक्रमानुपाती है और अचर का मान प्रयोग द्वारा निकाला जा सकता है।

शुद्ध और अनुप्रयुक्त गणित के भिन्न भिन्न प्रश्नों में इस विषय के बहुत से अनुप्रयोग हैं (देखें विमीय विश्लेषण)। (शांति नारायण महादेवन)