आमोस (लगभग ७५० ई. पू.)। आमोस के उपदेशों का सग्रंह बाइबिल में सुरक्षित है और आमोस का ग्रंथ कहलाता है। ये बारह गौण नबियों में से हैं। ईश्वर की प्रेरणा से उन्होंने मूर्तिपूजा के कारण यहूदी के नारा की नबूबत की थी; इसलिए इनको 'सर्वनाश का नबी' कहा गया है। ये साधारण शिक्षाप्रापत एवं स्पष्टवादी ग्रामीण थे। इन्होंने अन्याय, धनिकों, द्वारा दरिद्रों के शोषण तथा धर्म में निर्जीव कर्मकांड की निंदा की है।
सं.ग्रं.-थेईज, जे.: देर प्राफेट आमोस, बॉन, १९३७। (का.बु.)