आंध्र-भारत का एक प्रदेश है। क्षेत्रफल १,०५,९६३ वर्ग मील। श्री रामुलु के आत्मबलिदान के पश्चात् , भारतीय संघ का यह भाषानुसार बना प्रथम राज्य है। इसकी स्थापना १अक्टूबर, सन् १९५३ ई. को हुई। तत्पश्चात् १नवंबर, सन् १९५६ ई. को हैदराबाद के तेलंगाना क्षेत्र के भी इसमें मिल जाने पर वर्तमान आंध्र प्रदेश का निर्माण हुआ। इस राज्य में श्रीकाकुलम, विशाखापट्टनम, पूर्वी गोदावरी, पश्चिमी गोदावरी, कृष्णा, गुटूंर, नेल्लोर, कड्डपा, कुर्नूल, अनंतपुर, चित्तूर, हैदराबाद , महबूबनगर, आदिलाबाद, निजामाबाद, मेडक, करीमनगर, वारंगल, ख्म्माम तथा नलागोंडा नामक बीस जिले हैं।

प्राकृतिक दशा-आंध्र प्रदेश का पूर्वी सागरतटीय भाग मैदान है, जो गोदावरी एवं कृष्णा के नदीमुख प्रदेशों में अधिक विस्तृत हो गया है। इस मैदानी भाग का विस्तार नदीघाटियों के रूप में पश्चिम की ओर भी है। इसपर नदियों द्वारा लाई हुई उपजाऊ काँप मिट्टी बिछी हुई हैं। राज्य के पूर्वी भाग घाट की पहाड़ियाँ, उत्तर से दक्षिण तक, फैली हुई हैं। युगों से गर्मी सर्दी तथा वर्षा सहने के कारण इनकी चोटियाँ कटकर चपटी हो गई हैं और नदियों ने इन्हें असंबद्ध कर दिया है आंध्र का उत्तर-पश्चिमी भाग दक्षिणी सोपानाश्म (डेकन ट्रैप) से ढका है। पूर्वी भाग में नवीन तथा प्राचीन जलोढ़ (अलूवियम) के निक्षेप हैं। इसका शेष भाग आद्यकल्प (आरकियन) के कणाश्म (ग्रैनाइट) तथा दलाश्म (नाइस) से बना हुआ है। इस राज्य का पठारी भाग सागरतल की अपेक्षा ५०० से लेकर २,००० फुट तक ऊँचा है।

जलवायु-आंध्र प्रदेश उष्ण जलवायु प्रदेश के अंतर्गत है। यहाँ का जनवरी का औसत ताप ६५° फा. से ७५° तथा जुलाई का औसत ताप ८५° फा. से ९५° फा. तक होता है। सागरीय प्रभाव के कारण पूर्वी भाग की जलवायु पश्चिमी भाग की अपेक्षा अधिक सम है। इस राज्य की वार्षिक वर्षा का औसत ४२ इंच है जो ग्रीष्म के पावस (मानसून), अतिम पावस तथा शीत ऋतु के मानसून से होती है। राज्य के पूर्वी भाग को वर्षा ५५ इंच तथा पश्चिमी भाग की ३५ इंच है।

मिट्टी-आंध्र प्रदेश में कई प्रकार की मिट्टियाँ पाई जाती हैं। समुद्रतटीय प्रदेश में उपजाऊ काँप मिट्टी तथा बलुई मिट्टी मिलती है। उत्तर पश्चिम के सोपानाश्म क्षेत्र में काली तथा लाल मिट्टी पाई जाती है। यहाँ अनेक स्थानों पर भूरी मिट्टी भी मिलती है। अधिक वर्षा तथा असम धरातल के कारण यहाँ मिट्टी का अपक्षरण बहुत होता है।

वनस्पति-आंध्र प्रदेश में वनों का कुल क्षेत्रफल १,१०,१३२.४ वर्ग कि.मी. है। यह आँध्र के कुल क्षेत्रफल का ४० प्र.श. है। सागौन, कुसुम, रोजबुड तथा बाँस यहाँ के वनों में बहुतायत से मिलते हैं। ये सब पतझड़वाले वृक्ष हैं।

आंध्र की मुख्य नदियाँ गोदावरी, कृष्णा तथा पेन्नार हैं। अनुमानत: ये सब १५ करोड़ एकड़ फुट पानी प्रति वर्ष बंगाल की खाड़ी में डालती हैं। यहाँ की मुख्य बहुधंधीय योजनाएँ तुंगभद्रा, नागार्जुनसागर, पेन्नार, पंलिचिंताला, कद्दाम, वामसद्रधा, कोइलसागर आदि हैं। आंध्र में सिंचाई के क्षेत्रों का विवरण इस प्रकार है : राजकीय नहरें, ३०.३९ लाख एकड़; व्यक्तिगत नहरें, ६२,७२९ एकड़; तालाब, २५.६६ लाख एकड़; कुएँ, ७.५४ लाख एकड़; दूसरे साधन, २.५४ एकड़। सिंचाई के इतने साधन होते हुए भी इस राज्य के अधिकतर भाग को अनिश्चित एवं अनियमित पावस वर्षा पर निर्भर रहना पड़ता है।

कृषि-सन् १९५५-५६ में आंध्र का कुल बोया गया क्षेत्र २७० लाख एकड़ था; यह संपूर्ण भारत की कुल बोई गई भूमि का नौ प्रतिशत था। ७२.३८ लाख एकड़ भूमि बंजर थी। कृषि के अतिरिक्त कामों में लाई गई भूमि ३३.३३ लाख एकड़ तथा चारागाहों के लिए उपयुक्त भूमि २८.७८ लाख एकड़ थी। विविध प्रकार की मिट्टी एवं वर्षा के कारण आंध्र के कृषि उत्पादन भी विविध प्रकार के हैं। खाद्यान्न, तेलहन, तंबाकू, गन्ना, मूँगफली, अंडी तथा मसालों के उत्पादन में आंध्र प्रदेश का भारतीय संघ में महत्वपूर्ण स्थान है। यह निम्न तालिका से विदित है :

फसल क्षेत्रफल उत्पादन कुल भारतीय

(हजार एकड़ में) (हजार टनों में) उत्पादन का प्र.श.

धान ६,३४९ ३,१९५ १३.२

ज्वार ६,११८ १,०८० १२.९

दालें ३,२९४ २,८६० २.७

मूँगफली २,८१४ ९४९ २४.८

बाजरा १,७४५ ३,६४० १०.३

मक्का ४७१ ८० २.७

रागी ८६५ ३४५ १९.४

तंबाकू ३२१ १०७ ४३.१

अंडी ९०५ ६५ ५८.८

कपास १०३.४ १२७ २.९

गन्ना १६४ ४५६ ८.२

मिर्च ३९७ १०३ २८.९

हल्दी २३ ३४ २८.०

आंध्र के अन्य उत्पादन केला, आम, नीबू, संतरा आदि हैं।

आंध्र में पशु महत्वपूर्ण हैं। १९६६ ई. में पशुओं की संख्या इस प्रकार थी : भैंस ६७,९०,०००, गाय १,२३,४०,०००, बकरी ३७,६०,०००, भेड़ ८०,००,०००।

खनिज पदाथर्-आंध्र खनिज पदार्थों का विशाल भंडार है। यहाँ के मुख्य खनिज पदार्थ मैंगनीज, अभ्रक, कोयला, लोहा, चूने का पत्थर, क्रोमाइट, ऐसबेस्टस आदि है। यहाँ भारत का १० प्रतिशत मैंगनीज़ निकलता है, जो मुख्यतया विशाखापट्टनम्, बेलारी, श्रीकाकुलम आदि क्षेत्रों से आता है। यहाँ का मुख्य अभ्रक-उत्पादक क्षेत्र नेल्लोर है। इस राज्य में भारत का १५% अभ्रक उत्पन्न होता है। कोयला मुख्यतया गोदावरी नदी की घाटी में स्थित सिगरेनी, तंदूर आदि क्षेत्रों से आता है। आंध्र दक्षिणी भारत का सर्वप्रधान कोयला उत्पादक राज्य है। यह संपूर्ण भारत का ५% कोयला उत्पन्न करता है। यहाँ ऐसबेस्टस मुख्यतया कड्डपा क्षेत्र से आता है। नेल्लोर जिले की बालू में अणु खनिज भी मिलते हैं। भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग के अनुसार आंध्र के गुंटूर तथा नेल्लोर जिलों में ३८ करोड़ ९० लाख टन लोहा संरक्षित है।

उद्योग धधें-अपार प्राकृतिक साधन होते हुए भी आंध्र औद्योगिक दृष्टि से पिछड़ा है। सूती कपड़े की २१ मिलें मुख्यतया हैदराबाद, औरंगाबाद, गुंटकल, एडोनी एवं गुलबर्गा में स्थित हैं। कागज की मिलें राजमहेंद्री तथा सीरपुर कागजनगर में हैं। इस राज्य में चीनी बनाने की १९ मिलें हैं जिनमें सर्वप्रधान बोधन मिल है। सीमेंट के कारखाने विजयवाड़ा, कृष्णा, पनियाम, नदीकोंडा आदि स्थानों पर हैं। सिगरेट बनाने के कारखाने हैदराबाद में तथा चमड़े के कारखाने वारंगल, विजयवाड़ा आदि स्थानों में हैं। गुदूर में चीनी मिट्टी के बर्तन और काँच के कारखाने हैं। जलयाननिर्माण उद्योग का केंद्र विशाखापट्टनम् है। यहाँ कैलटेक्स कंपनी की एक बृहत् तैल-शोधन-शाला है।

गृह उद्योग-आंध्र में करघा उद्योग उन्नत दशा में है। इसके मुख्य केंद्र मछलीपट्टम, वारंगल तथा एलुरू हैं। फर्नीचर के लिए आदिलाबाद, सींग तथा हाथीदांत के काम के लिए हैदराबाद और विशाखापट्टनम्, लौह के खिलौनों के लिए कोंडापल्ली, दियासलाई बनाने के लिए हैदराबाद और विजयवाड़ा, रेशम का कीड़ा पालने के लिए मदाकसीरा, हिंदूपुर कुर्नूल, पूर्वी गोदावरी आदि प्रसिद्ध हैं।

आंध्र से निर्यात की जानेवाली वस्तुएँ तंबाकू, मूँगफली, तिलहन, चावल,कोयला आदि हैं। आयात की वस्तुएँ दाल, कपड़ा, पक्के माल हैं। यहाँ रेलों की लंबाई, २,९०२ मील तथा सड़कों की लंबाई १४,४६६ मील है।

बंदरगाह-आंध्र का सागरतट यथेष्ट लंबा है और विशाखापट्टनम् यहाँ का एक अच्छा बंदरगाह है। सिंधिया कंपनी ने यहाँ पर जहाज बनाने का कारखाना स्थापित किया है। १९५८ तक इस कारखाने में २४ जहाज बने। इसका पूर्ण विकास होने पर यहाँ पर प्रति वर्ष चार जहाज बनेंगे। यहाँ जहाजों की मरम्मत के अतिरिक्त पनडुब्बियों की मरम्मत भी होने लगी है तथा पनडुब्बियाँ बनाने का एक कारखाना भी यहाँ स्थापित किया गया है। आँध्र के अन्य प्रमुख बंदरगाह कोकोनाडा तथा मछलीपट्टम् हैं।

जनंसख्या-सन् १९७१ ई. में आंध्रप्रदेश की जनसंख्या लगभग ४,३२,९४,९३१ थी। यहाँ के प्रसिद्ध नगरों की जनसंख्या इस प्रकार थी : हैदराबाद ११,१८,५५३, विशाखापट्टनम् १,८२,००२, विजयवाड़ा २,३०,३९७, गुंटूर १,८७,१३५, वारंगल १,५६,१०६, राजमुंद्री १,३०,००२। यहाँ की भाषा तेलुगू तथा राजधानी हैदराबाद है।

(रा.लो.सिं.)