आंतियोकस इस नाम के १३ सिल्यूकस वंशीय राजाओं ने प्राचीन सीरिया तथा निकटवर्ती प्रदेशों पर राज किया। आँतियोकस प्रथम अपने पिता के वध के पश्चात् ई.पू. २८१ में सिंहासन पर बैठा और उसने अपनी बिखरी राजनीतिक शक्ति का संचय करने का प्रयास किया। इसका मौर्यसम्राट् बिंदुसार के साथ राजनीतिक संपर्क था और इसने अपने राजदूत दियामाकस को पाटलिपुत्र भेजा था। मौर्यसम्राट् के लिए मोदी शराब तथा अंजीर भी भेजे, पर यूनानी दार्शनिक भेजने में अपनी असमर्थता प्रकट की। फिलिस्तीन के प्रश्न को लेकर इसे मिस्र के सम्राट् तालमी के साथ युद्ध करना पड़ा। इसके पुत्र आँतियोकस द्वितीय (ई.पू. २६१-२४६) ने मिस्र की राजकुमारी के साथ विवाह कर दोनों देशों को मैत्रीसूत्र में बाँधा। इन दोनों सम्राटों का अशोक के अभिलेखों में उल्लेख है। इसके समय बैक्ट्रिया और पार्थिया ने अपनी स्वतंत्रता घोषित कर दी।
आंतियोकस तृतीय (ई.पू. २२३-१८७) 'महान' इस देश का सबसे प्रतापी सम्राट् था। उसने अपने साम्राज्य को बढ़ाना चाहा, पर यूनान में थर्मापिली के युद्ध में पराजित होकर उसे अपने देश वापस आना पड़ा। इसी देश के आंतियोकस चतुर्थ (ई.पू. १७६-१६४) ने मिस्रियों को हराकर फिलिस्तीन लेना चाहा, पर रोमनों की बढ़ती हुई शक्ति के आगे इसे मिस्र छोड़ना पड़ा। आँतियोकस अष्टम (ई.पू. १३८-१२९) ने जुरूसलम पर अधिकार किया और पार्थवों से लड़ते हुए वीरगति प्राप्त की।
सं.ग्रं.-केंब्रिज प्राचीन इतिहास भाग ६। (बै.पु.)