आँगिलवर्त (मृत्यु ८१४) फ्ऱैंक लातीनी कवि। शलमान का मंत्री। शार्लमान् की पुत्री बर्था का प्रेमी जिससे उसके दो बच्चे हुए। ७९० में वह सैंरिकुए का मठाध्यक्ष था। ८०० में वह शार्लमान् के साथ रोम गया और ८१४ में उसकी वसीयत का वह गवाह भी रहा। उसकी कविताओं में संसार के व्यवहारकुशल मनुष्यों की सुसंस्कृत रुचि परिलक्षित होती है। उसे राजकीय उच्च सामंतवर्ग के जीवन का पूरा ज्ञान थ। सम्राट् की साहित्यगोष्ठी में वह 'होमर' कहलाता था।