अहोम ताई जाति की शाखा, जिसने आसाम में १३वीं सदी में बसकर उसे अपना नाम दिया। शीघ्र उसने ब्रह्मपुत्र के निचले काँठे पर भी कुछ काल के लिए अधिकार कर लिया। उस जाति के शासन में राजकर वैयक्तिक शारीरिक सेवा के रूप में लिया जाता था। अहोम पहले जीवजंतुओं की पूजा किया करते थे, पीछे हिंदू धर्म के प्रभाव से उन्होंने हिंदू देवताओं को अपनी आस्था दी। अहोमों का समाज जनों (खेलों) में विभक्त है। उनकी भाषा असमी (द्र. 'असमिया') है और लिपि देवनागरी से विकसित। प्राचीन अहोमी या असमी भाषा में ताड़पत्रों पर लिखी अनेक हस्तलिपियाँ उपलब्ध हैं। (भ.श.उ.)