अहमद खाँ, सर सैयद दिल्ली में १८१७ ई. में पैदा हुए; पुरखे हेरात से शाहजहाँ के समय आए थे। सर सैयद की शिक्षा उनकी मॉ ने की। १८३७ ई. में सरकारी नौकर हुए। मुसलमान कौम की उन्नति का विचार शुरु में था। सन् १८६१ ई. में एक स्कूल मुरादाबाद में और १८६४ ई. में एक स्कूल गाजीपुर में खोला जहाँ मुसलमान लड़कों को अंग्रेजी की शिक्षा दी जाती थी। सन् १८९६ ई. में इंग्लैंड गए और वहाँ से लौटने पर एक पत्रिका 'तहजीबुल इखलाश' निकाली जिसके द्वारा मुसलमानों में प्रगतिशील विचार फैले। नौकरी के बीच उन्होंने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक 'आसारउलसनादीदी' लिखी। पेंशन के बाद सन् १८७७ ई. में उन्होंने अलीगढ़ कालेज कायम किया जिसकी नींव लार्ड लिटन के हाथों रखी गई। सन् १८९८ ई. में सर सैयद का स्वर्गवास हो गया। अलीगढ़ विश्वविद्यालय में ही दफन हुए।
सर सैयद ने उर्दू भाषा की बड़ी सेवा की। वह सीधी सादी मगर अत्यंत जोरदार भाषा लिखते थे। उर्दू साहित्यिक निबंधलेखन की कला सर सैयद की बहुत बड़ी देन है। उर्दू गद्य के नए विचार और उनके लिए नित्य नए शब्द सैयद ने अत्यंत खूबी से बढ़े, चुने और सम्मिलित किए। (र.स.ज.)