अष्टावक्र कहोड़ के पुत्र जिनकी कहानी महाभारत में दी गई है। कहते हैं, कहोड़ यज्ञ में अधिक ध्यान देने के कारण अपनी पत्नी पर विशेष ध्यान न दे पाते थे जिससे गर्भ में ही अष्टावक्र ने उनकी भर्त्सना करनी आरंभ कर दी। कहोड़ के शाप से वे अष्टांग से वक्र हो गए थे, किंतु बाद में अपने ज्ञान और पितृभक्ति से वे बहुत सौम्य हो गए।
(चं.म.)