अव्यंग शाकद्वीपीय सौर ब्राह्मणों द्वारा धारण किया जानेवाला पवित्र सूत्र है। इसकी तीन कोटि होती हैं, २०० अंगुल का उत्तम, १२० अगुल का मध्यम तथा १०८ अंगुल का ्ह्रस्व। अन्य ब्राह्मण जिस प्रकार यज्ञोपवीत के बिना किसी कर्मकांड के अधिकारी नहीं होते, उसी प्रकार सौर ब्राह्मण भी इसके बिना सूर्यपूजा नहीं कर सकते। पारसी लोग भी सूर्यपूजा के समय इसको धारण करते हैं। जेंदावेस्ता में अव्यंग को 'ऐव्यंगहनेम्' और पारसी में 'कुश्ती' संज्ञा प्राप्त है। (कै.चं.श.)