अवधी साहित्य
प्राचीन अवधी साहित्य की दो शाखाएँ हैं : एक भक्तिकाव्य और दूसरी प्रेमाख्यान काव्य। भक्तिकाव्य में गोस्वामी तुलसीदास का 'रामचरितमानस' (सं. १६३१) अवधी साहित्य की प्रमुख कृति है। इसकी भाषा संस्कृत शब्दावली से भरी है। 'रामचरितमानस' के अतिरिक्त तुलसीदास ने अन्य कई ग्रंथ अवधी में लिखे हैं। इसी भक्ति साहित्य के अंतर्गत लालदास का 'अवधबिलास' आता है। इसकी रचना संवत् १७०० में हुई। इनके अतिरिक्त कई और भक्त कवियों ने रामभक्ति विषयक ग्रंथ लिखे।
संत कवियों में बाबा मलूकदास भी अवधी क्षेत्र के थे। इनकी बानी का अधिकांश अवधी मे है। इनके शिष्य बाबा मथुरादास की बानी भी अधिकतर अवधी में है। बाबा धरनीदास यद्यपि छपरा जिले के थे तथापि उनकी बानी अवधी में प्रकाशित हुई। कई अन्य संत कवियों ने भी अपने उपदेश के लिए अवधी को अपनाया है।
प्रेमाख्यान काव्य में सर्वप्रसिद्ध ग्रंथ मलिक मुहम्मद जाएसी रचित 'पद्मावत' है जिसकी रचना 'रामचरितमानस' से ३४ वर्ष पूर्व हुई। दोहे चौपाई का जो क्रम 'पद्मावत' में है प्राय: वही 'मानस' में मिलता है। प्रेमाख्यान काव्य में मुसलमान लेखकों ने सूफी मत का रहस्य प्रकट किया है। इस काव्य की परंपरा कई सौ वर्षों तक चलती रही। मंझन की 'मधुमालती', उसमान की 'चित्रावली', आलम की 'माधवानल कामकंदला', नूरमुहम्मद की 'इंद्रावती' और शेख निसार की 'यूसुफ जुलेखा' इसी परंपरा की रचनाएँ हैं। शब्दावली की दृष्टि से ये रचनाएँ हिंदू कवियों के ग्रंथों से इस बात में भिन्न हैं कि इसमें संस्कृत के तत्सम शब्दों की उतनी प्रचुरता नहीं है।
प्राचीन अवधी साहित्य में अधिकतर रचनाएँ देशप्रेम, समाजसुधार आदि विषयों पर और मुख्य रूप से व्यंग्यात्मक हैं। कवियों में प्रतापनारायण मिश्र, बलभद्र रीक्षित 'पढ़ीस', वंशीधर शुक्ल, चंद्रभूषण द्विवेदी 'रमई काका' और शारदाप्रसाद 'भुशुंडि' विशेष उल्लेखनीय हैं।
प्रबंध की परंपरा में 'रामचरितमानस' के ढंग का एक महत्वपूर्ण आधुनिक ग्रंथ द्वारिकाप्रसाद मिश्र का 'कृष्णायन' है। इसकी भाषा और शौली 'मानस' के ही समान है और ग्रंथकार ने कृष्णचरित प्राय: उसी तन्मयता और विस्तार से लिखा है जिस तन्मयता और विस्तार से तुलसीदास ने रामचरित अंकित किया है। मिश्र जी ने इस ग्रंथ की रचना द्वारा यह सिद्ध कर दिया है कि प्रबंध के लिए अवधी की प्रकृति आज भी वैसी ही उपादेय है जैसी तुलसीदास के समय में थी।
सं.ग्रं.-बाबूराम सक्सेना, त्रि. ना. दीक्षित : अवधी और उसका साहित्य (दिल्ली)।