अलेप्पि अथवा अबलापुल्ला दक्षिण भारत के केरल राज्य का प्रमुख बंदरगाह एवं इसी नाम के जिले का प्रमुख नगर है (स्थिति ९° ३०¢ उ. एवं ७६° २०¢ पू.दे.)। यह क्वीलन से ४९ मील उत्तर एवं एर्णाकुलुम् से ३५ मील तथा कोचीन से ३२ मील दक्षिण स्थित है। १८वीं सदी के अंत तक यह क्षेत्र जंगलों से ढका रेतीला मैदान था। महाराज रामवर्मा ने उत्तरी ट्रावंकोर-कोचीन क्षेत्र में डचों की व्यापारिक महत्ता एवं व्यावसायिक एकाधिकार को समाप्त करने के उद्देश्य से यहाँ बंदरगाह बनवाया था। सुविधा पाकर यहाँ देशी विदेशी व्यापारी बस बए और विदशों से इस बंदरगाह द्वारा आयात निर्यात होने लगा। व्यापार की वृद्धि के लिए पृष्ठक्षेत्र से नहर द्वारा बंदरगाह का संबंध जोड़ा गया। १८वीं सदी के अंत में बड़े-बड़े गोदाम एवं दूकानें राज्य की ओर से बनवाई गई। अत: १९वीं सदी की प्रथम तीन दशाब्दियों तक यह ट्रावंकोर का प्रमुख बंदरगाह हो गया था। साल के अधिकांश में यह बंदरगाह जहाजों के ठहरने के लिए सुरक्षित रहता है:

उद्योगों की दृष्टि से अलेप्पि नारियल की जटाओं से बनी चटाइयों के लिए सुप्रसिद्ध है। यहाँ से गरी, नारियल, नारियल की जटा, चटाइयां, इलायची, काली मिर्च, अदरक आदि का निर्यात होता है। आयात की वस्तुओं में चावल, बंबइया नमक, तंबाकू, धातू एवं कपड़े आदि प्रमुख हैं।

१९०१ ई. में नगर की जनसंख्या केवल २४,९१८ थी जो १९५१ ई. में बढ़कर १,१६,२७८ हो गई। पिछली दशाब्दियों में यह दूनी से आधिक हो गई। अलेप्पि बंदरगाह का महत्व अब घट गया है, परंतु यह अब भी अनुतटीय एवं नदियों के विमुखीय प्रवाह द्वारा होनेवाले व्यापार के लिए प्रसिद्ध है। १९५६-५७ में इस बंदरगाह द्वारा २,९२० टन का आयात एवं २३,५२५ टन का निर्यात हुआ था। (का.ना.सिं.)