अली, मुहम्मद मौलाना मुहम्मद अली सन् १८७८ ई. में नजीबाबाद, जिला बिजनौर में पैदा हुए। दो साल के थे कि पिता का देहावसान हो गया। मां ने, जो 'बी अम्मा' कहलाती थीं और बड़े किर्दार की बीबी थीं, शिक्षा की व्यवस्था की। अलीगढ़ में ऊंची तालीम हासिल की, फिर आक्सफ़र्ड गए। वापसी पर खिलाफत तहरीक और कांग्रेस में शामिल हुए। कांग्रेस के ३८वें अधिवेशन (काकीनाडा) के सभापति हुए। मुहम्मद अली ने अध्यक्ष की हैसियत से खास तौर पर मुसलमान और कांग्रेस, औरतों की तनजीम, खादी का काम, सिक्खों का मसला और स्वराज्य के रूप आदि पर जोर दिया। फिर ये गोलमेज कफ्रोंस में भी शामिल होने लंदन गए और उसके एक अधिवेशन में बड़ा पुरजोश व्याख्यान दिया। स्वास्थ्य खराब था, व्याख्यान के बाद हालत गिरनी शुरु हो गई और ५ फरवरी, १९३२ ई. को लंदन में ही उनकी मृत्यु हो गई। जनाजा जुरूसलम ले जाया गया और वहाँ मसजिदे अकसा में दफन हुए।
मौलाना मुहम्मद अली जबरदस्त रहबर होते हुए भी अदीब और शायर भी थे। आपका उपनाम 'जौहर' था। उर्दू पत्रकारिता को आपने एक नई दिशा दी। आपकी ही दिखाई राह पर बाद में आनेवाले तमाम उर्दू अखबारों ने कदम रखा। आप कलकत्ते से एक अखबर 'कामरेड' निकालते थे और एक दैनिक अखबार भी जिसका नाम 'हमदर्द' था। यह दैनिक एक सफे पर छपता था। मौलाना का पूरा जीवन जाति तथा देश के लिए अनेक त्याग करने में बीता। (र.ज.)