अलाओल अथवा अलाउल सत्रहवीं शती में विद्यमान थे और इन्होंने हिंदी (अवधी) कवि मलिक मुहम्मद जाएसी कृत 'पद्मावत' को आधार बनाकर बंगला में 'पद्मावती' की रचना। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने अपने 'हिंदी साहित्य का इतिहास' में इनका उल्लेख 'आलो उजालो' नाम से किया है।
'पद्मावती' अराकान दरबार में थदो मिंतार (१६४५-१६५२) के शासनकाल में राजा के महापात्र मगन ठाकुर की प्रार्थना पर रची गई। मगन ठाकुर कौन थे, यह अभी विवादास्पद है।
देखा जाए तो अलाउल कृत 'पद्यावती' न केवल काव्यग्रंथ है अपितु एक महत्वपूर्ण ऐतिहसिक अनुलेख भी है। यह इसलिए कि इसके आरंभ के कुछ अध्यायों में रचनाकार ने राजा थदो मिंतार, उसकी राजधानी, प्रासाद, राजसभा, स्थलसेना और नौसेना का विस्तृत चित्रण किया है। इसमें इतिहास के कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को भिन्न रूप में भी दिया गया है यथा, इतिहास में थदो मिंतार राजा नरपति दिग्यि का भतीजा बतलाया गया है जबकि अलाउल ने उसे उसका पुत्र कहा है। 'पद्मावत' और 'पद्मावती' की तुलना करने पर पता चलता है कि अलाउल ने जायसी का अनुकरण करते हुए भी बहुत सी बातों में पूरी स्वच्छंदता बरती है। अतं: 'पद्मावती' अक्षरश: अनुवाद न होकर छाया रूपांतर बन गया है। (कै.चं.श.)