अलबेली अलि संस्कृत के परंपरागत विद्वान थे किंतु इन्हे ब्रजभक्ति के उझायकों में विशिष्ट माना जाता है। इनके गुरु का नाम वंशी अलि था जो अपनी उपासनापद्धति को नवीन रूप देनेवाले महात्मा के रूप में प्रसिद्ध रहे हैं। ये विष्णु स्वामी की दार्शनिक विचारधारा से प्रभावित थे। अलबेली अलि का संस्कृत भाषा में प्रणीत 'श्रीस्तात्र' नामक काव्य यमक और अनुप्रास की छटा के लिए विद्वानों के मध्य समादरित हैं। ब्रजभाषा में इन्होंने 'समयप्रबंध पदावली' की रचना की है। इस ग्रंथ में राधाकृष्ण की रूपमाधुरी का अति सरस रूप में वर्णन किया गया है। ब्रज में उनके कई पद बड़े चाव से गाए जाते हैं। (कै.चं.श.)