अलका मेरू पर्वत पर यक्ष गंधर्वों की नगरी और यक्षराज कुबेर की राजधानी। कालिदास ने अलका को अपने मेघदूत में यक्षों की नगरी कहा है और उसे कैलास पर्वत की ढाल पर बसी बताया है। उसी नगरी का अभिशप्त यक्ष मेघदूत का नायक है जिसकी प्रिथा का उस अलका में प्रोषितपतिका विरहिणी के रूप में कवि ने बड़ा विशद, भावुक, आर्द्र और मार्मिक वर्णन किया है। प्रकट है अलका भौगोलिक जगत् की नगरी न होकर काव्यजगत् की नगरी है, सर्वथा पौराणिक। (ओं.ना.उ.)