अरब लीेग की स्थापना १९४५ ई. में हुई। इसके निर्माण के पीछे १९वीं शताब्दी का अरब जागरण था। लगभग चार सौ वर्ष तक ऑटोमन साम्राज्य का अंग रहने के उपरांत भी अरब जाति ने अपनी पृथक् सत्ता बनाए रखी जिसके मूल में एक धर्म, एक भाषा और एक ही सांस्कृतिक रिक्थ था। १९वीं शताब्दी में पनपे अरब आंदोलन और प्रथम विश्वयुद्ध के बीच तुर्की के विरुद्ध हुए अरब विद्रोह का उद्देश्य था कि ऑटोमन साम्राज्य से अलग होकर एशिया स्थित अरब देश सम्मिलित होकर एक स्वतंत्र एवं प्रभुसत्तासंन्न अरब राष्ट्र का निर्माण करें। किंतु १९१९ के शांति समझौते के कारण अरब संसार दो वर्गो में विभक्त हो गया। एक वर्ग फ्रांसीसी प्रभाव में रहा तो दूसरा ब्रिटिश में। सऊदी अरब तथा यमन तटस्थ रहे। इसके कारण अरबों के विभिन्न राष्ट्र बने, यथा सीरिया लेबनान, ईराक, जार्डन और फिलस्तीन।

सन् १९४३ तक फिलस्तीन को छोड़ शेष सभी उपर्युक्त राष्ट्रों ने पर्याप्त स्वतंत्रता प्राप्त कर ली थी। फलस्वरूप १९४४ ई. की शरद् ऋतु में अलेक्जैंड्रिया नगर के अंतर्गत अरबों का एक सम्मेलन हुआ जिसमें 'अलेक्जैंड्रिया नयाचार मसविदा तैयार किया क्योंकि अरबों का एक राष्ट्र या संघ बनाने की कोई भी संभावना इस अधिकरण के सदस्यों को दिखाई न पड़ी। २२ मार्च, १९४५ ई. के दिन काहिरा में मिस्र, ईराक, सऊदी अरब, सीरिया, लेबनान, जार्डन तथा यमन ने एक इकरारनामे पर हस्ताक्षर किए और अरब लीग का जन्म हुआ। लीबिया मार्च, १९५३ में; सूडान जनवरी, १९५६ में; टयूनिसिया तथा मोरोक्को अक्टूबर, १९५८ में; कुवैत जुलाई, १९६१ में और अल्जीरिया १६ अगस्त, १९६२ को अरब लीग के सदस्य बने। इकराननामें के एक परिशिष्ट में व्यवस्था है कि अरब लीग में सम्मिलित न होनेवाले अरेबियन प्रायद्वीप तथा उत्तर अफ्रीका स्थित अरब राष्ट्रों से भी सहकार एवं भाईचारा बरता जाए।

संगठन-अरब लीग की एक परिषद्, अनेक विशेष समितियाँ तथा एक स्थायी सचिवालय है। परिषद् में प्रत्येक सदस्य राष्ट्र को एक एक मत देने का अधिकार है। परिषद् का अधिवेशन किसी भी अरब राष्ट्र की राजधानी में बुलाया जा सकता है। अरब लीग को यह अधिकार भी है कि वह लीग से सदस्य राष्ट्रों अथवा लीग के किसी सदस्य राष्ट्र और अन्य बाहरी अरब राष्ट्र के मध्य उठे विवाद को दूर करने के लिए मध्यस्थता कर सके। परिषद् की एक राजनीतिक समिति भी है जिसके सदस्य अरब राष्ट्रों के विदेशमंत्री होते हैं। लीग का स्थायी सचिवालय काहिरा में है और इसके अध्यक्ष को महासचिव कहा जाता है। महासचिव का स्तर राजदूत के समकक्ष रखा गया है।

अरब साझा बाजार-अरब लीग ने एक अरब साझा बाजार भी गठित किया है। अप्रैल, सन् १९६४ में तत्संबंधी समझौता हुआ जिसपर ईराक, जार्डन, सीरिया तथा संयुक्त अरब गणराज्य ने हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के अनुसार अगले पाँच वर्षोंमें कृषि उत्पादों एवं प्राकृतिक साधनों पर लगनेवाले सीमाशुल्क को क्रमश: समाप्त करने की व्यवस्था थी। प्रति वर्ष तटकर में २० प्रतिशत तथा औद्योगिक उत्पादों पर लगनेवाले सीमाशुल्क में १० प्रतिशत कटौती करने को सभी राष्ट्र सहमत थे। सदस्य राष्ट्रों के बीच धन एवं श्रमिकों का मुक्त आदान-प्रदान भी इसके अनुसार हो सकेगा। (कै.चं.श.)