अमीर खुसराे फारसी का श्रेष्ठतम भारतीय कवि जो उत्तरप्रेदश के एटा जिले के पटियाली नामक स्थान में १२५३ ई. में उत्पन्न हुआ था। इसका पता सैफुद्दीन महमूद लाचीं तुर्कों के सरदारों में से था और अल्तमश के शासनकाल में भारत आकर बस गया था। इसकी माता इमादुल मुल्क (राज्यस्वामी) की कन्या थी। अमीर खुसरो की केवल १० वर्ष की अवस्था में ही सैफुद्दीन का देहांत हो गया इससे इसके नाना ने इसका पालन पोषण किया। बाल्यकाल में ही अमीर खुसरो शेख निज़ामद्दीन औलिया का शिष्य हो गया और उनके प्रति उसने महान् प्रेम और आदर बढ़ाया। अत्यंत प्रारंभिक अवस्था में ही उसने काव्यरचना आरंभ की। बलबन के शासनकाल् में वह श्रेष्ठ कुलीनों और शाही परिवार के सदस्यों-अलाउद्दीन किशलू खाँ-के संपर्क में आया। कैकुबाद दिल्ली का पहला सुल्तान था जिसने उसे अपने दरबार में आमंत्रित किया और प्रधान दरबारियों में उसे सम्मिलित कर लिया। उसी समय से जीवन भर वह सुल्तान की सेवा में रहा। १३२४ में वह गयासुद्दीन तुगलक़ के साथ बंगाल की चढ़ाई पर गया। जब वह लखनौती में ठहरा था उसी समय उसके आध्यात्मिक गुरु शेख निज़ामुद्दीन औलिया दिल्ली में चल बसे। इससे खुसरो को मार्मिक शोक हुआ। अपने गुरु की मृत्यु के छह महीने पश्चात् १३२५ में दिल्ली में खुसरो ने भी आखिरी साँस ली। वह शेख निज़ामुद्दीन औलिया के मकबरे के पैताने दफनाया गया।
अमीर खुसरो बहुमुखी प्रतिभा का व्यक्ति था। वह कवि, भाषाशास्त्री, गायक, विद्वान, दरबारी और रहस्वादी, सभी कुछ था। वस्तुत: वह मध्यकालीन संस्कृति का विशिष्ट प्रतिनिधि था। कवि की हैसियत से वह फारसी कविता की महती प्रतिभाओं-फिरदौसी, सादी, अनवरी, हाफिज़, उर्फ़ी आदि की कोटि में था। उसने हिंदी में एक 'दीवान' भी रचा था। (दुर्भाग्यवश अमीर खुसरो की हिंदी रचनाओं का कोई प्रामाणिक संस्करण उपलब्ध नहीं।) इसके अतिरिक्त खुसरो संगीत में भी अत्यधिक रुचि रखता था और इस कला को उसने अपनी महत्वूपर्ण देनों से अलंकृत किया।
भारत के लिए खुसरो के मन में अगाध प्रेम था और उसकी संश्लिष्ट संस्कृति का महान् प्रशंसक था। अपने नूह सिपेहत में उसने ज्ञान और विद्या के क्षेत्र में अन्य सभी देशों के ऊपर भारत की महत्ता स्थापित करने का प्रयत्न किया।
अमीर खुसरो की निम्नांकित कृतियाँ उपलब्ध हैं:
(१) पाँच दीवान: (क) तुहकातुस सिगार (किशोरावस्था में रची हुई कविताएँ), (ख) वस्तुल हयात (मध्य जीवन की कविताएँ), (ग) गुर्रतुल कमाल (परिपक्वावस्था की कविताएँ), (घ) बकिया-नकिया, (ङ) निहायतुल कमाल।
(२) पाँच मसनवियाँ: (क) मतलाउल अनवर, (ख) शिरिन-उ खुसरो, (ग) ऐनाई सिकंदरी, (घ) हश्त-बहिश्त, (ङ) मजनूनुल लैला।
(३) तीन गद्य कृतियाँ: (क) खाजा इन-उल फुतूह (अलाउद्दीन खिलजी के युद्धों का विवरण), (ख) अफज़लुल फवाइद (शेख निजामुद्दीन औलिया की उक्तियों का संकलन), (ग) इजाज़ीं (खुसरवी ललित गद्य के नमूने)।
(४) पाँच ऐतिहासिक कविताएँ: (क) किरानुस-सादेइन, कैकुबाद के उसके पिता बुग़्राा खाँ से मिलने पर, (ख) मिकताहुल फुतूह (जलालुद्दीन खिलजी के सैन्य संचालनों का विवरण), (ग) दुवाल रानी खिज्र खाँ और दुवालदी की प्रणयकथा, (घ) नूह सिपिह (मुबारक खिलजी के शासन का विवरण), (ङ) तुग़्लाकनामा (खुसरो खाँ से यासुद्दीन तुग़्लाक के युद्ध का विवरण)।
सं.ग्रं.-जीवनी संबंधी विवरणों के लिए द्र. : गुर्रातुल कमाल की भूमिका, समसासमयिक विवरणों के लिए द्र. : बरानी, तारीख़ी-फिरोज़-शाही मीरखुर्द, सियासुल औलिया शिबली भी द्र., शीरुल आजम (ऊर्दू में आजमगढ़ १९४७) खंड दो, पृष्ठ ९६-१७५; सैयद अहमद महराहर्वी : हयाती खुसरो (ऊर्दू में लाहौर, १९०९); मुहम्मद हबीब : हजरत अमीर खुसरो ऑव डेलही (बंबई, १९२७); वाहिद मिर्ज़ा : लाइफ ऐंड टाइम्स ऑव अमरी खुसरो (कलकत्ता, १९३५)। (खा.अ.नि.)