अबुल फ़ैज़, फ़ैज़ी या फ़ैयाज़ी सन् १५४७ में आगरा में जन्म। अबुल फज़्ल के बड़े भाई और अकबरी दरबार के कविसम्राट। वे कम उम्र में ही अरबी साहित्य, काव्य और औषधियों की जानकारी के कारण मशहूर हो गए थे। २० वर्ष की आयु में ही उनकी काव्यरचना की ख्याति अकबर के कानों में पड़ी और तभी उन्हें अकबर के दरबारी कवियों में स्थान मिल गया। ३० वर्ष की आयु में वे मलिक--उस--शुअरा (कविसम्राट्) के पद पर नियुक्त हुए। अपने भाई अबुल फ़ज़्ल के ही समान वे स्वतंत्र विचारक थे और उन्होंने अकबर के धार्मिक विचारों और नीतियों का समर्थन किया। सन् १५७९ ई. में उन्होंने अकबर के लिए पद्यात्मक ख़ुतबा तैयार किया। उसी साल अकबर के द्वितीय पुत्र मुराद के शिक्षक के पद पर उनकी नियुक्ति हुई। अकबरनामा में उद्धृत पद्यों में उन्होंनें अपने को तीनों का शिक्षक बतलाया है। जब १५८० ई. में सम्राट् अकबर काश्मीर गए तब अपने साथ फ़ैज़ी को भी लेते गए थे। १५९१ ई. में सम्राट् ने दकन के राज्यों के लिए 'मिशन' भेजने का निश्चय किया। फ़ैज़ी बुरहानपुर के राजदूत चुने गए। १५ अक्टूबर,१५९५ ई. को आगरा में उनकी मृत्यु हुई। उनकी मृत्यु के बाद उनकी पुस्तकों का महत्वपूर्ण संग्रह, जाए ४,६०० भागों में है, राजकीय पुस्तकालय में भेज दिया गया। इस संग्रह में दर्शन, संगीत, ज्योतिष, गणित, कविता, ओषधि, इतिहास, धर्म आदि अनेक विषयों पर लिखी गई रचनाएँ हैं।

फ़ैज़ी को अमीर खुसरो के बाद द्वितीय महान् भारत-ईरानी कवि माना जाता है। शाह अब्बास के दरबारी कवियों ने भी उनकी उत्कृष्ट काव्य-रचना, उदात्त विचारों, और अधिकारपूर्ण लेखनशैली की प्रशंसा की है। बदायूनी का कथन है कि काव्य, पहेली, दशास्त्र, इतिहास, भाषाविज्ञान और औषधियों के विषय में फ़ैज़ी अपने समय में अद्वितीय थे। अरबी और फ़ारसी के अतिरिक्त वे संस्कृत के भी प्रकांड पंडित थे।

बदायूनी और बख्तावर खाँ (मिरत-उल-आलब) के अनुसार फ़ैज़ी की १०१ रचनाएँ हैं। कहा जाता है कि उन्होंने ५०,००० कविताएँ लिखी हैं। उनकी अनेक रचनाएँ अप्राप्य हैं। महत्वपूर्ण पुस्तकों में निम्नलिखित विशेष उल्लेखनीय हैं: (१) सवती-उल-इहाम अरबी में लिखित कुरान की टीका (मुद्रित)। (२) नल-दमन नल-दमयंती की प्रेमकथा (मुद्रित)। (३) लीलावती, अंकगणित की एक संस्कृत रचना का फारसी अनुवाद (मुद्रित)। (४) मरकाज-ए-अदवार, निज़ाम लिखित मखज़न-उल-असरार के अनुकरण पर एक मसनवी (मुद्रित)। (५) जफ़र-नामा-ए-अहमदाबाद, अकबर की अहमदाबाद विजय पर एक मसनवी (ब्रिटिश म्यूजियम में रखी हस्तलिखित प्रति)। (६) शरीक--उल--मरीफत; संस्कृत ग्रंथों के आधार पर वेदांत दर्शन पर एक समीक्षा (इंडिया आफिस कैटलाग, १९५७, हस्तलिखित प्रति)। (७) महाभारत के द्वितीय पर्व का अनुवाद, (इंडिया आफिस कैटलाग नं.२९२२)। (८) लतीफ़-ए-फ़ैयाज़ी सम्राट् फ़ैयाज़ी के रिश्तेदारों, समसामयिक विद्वानों, संतों, वैद्यों आदि को लिखे गए फ़ैयाज़ी के पत्रों का संग्रह, फ़ैयाज़ी के भतीजे नूरुद्दीन मुहम्मद द्वारा संपादित (इंडिया आफिस, अलीगढ़, रामपुर तथा अन्य पुस्तकालयों में प्राप्य हस्तलिखित प्रतियाँ)।

सं.ग्रं._ आईन-ए-अकबरी, पृ. २३५-२४२; मुंतखाब-उल्-तवा-रीख, भाग २, पृ. ५८४-९०; शीर-उल्-आज़म शिब्ली (आजमगढ़, १९४५, उर्दू में लिखित) भाग ३, पृ. २८-७२; मुहम्मद हुसैन आजाद: दरबार-ए-अकबरी (लाहौर, १९२२, उर्दू में लिखित), पृ. १००-१०६; एम.ए.गनी: ए हिस्ट्री आव रशियन लैंग्वेज ऐंड लिटरेचर ऐट मुगल कोर्ट (अकबर) (इलाहाबाद, १९३०) पृ. ३९-६७। (यू.हु.खाँ)