अध्वा जगत्
या सृष्टि की तांत्रिकी
संज्ञा। तंत्रों के
अनुसार अध्वा दो
प्रकार का होता
है-शुद्ध और अशुद्ध।
शुद्ध अध्वा से सात्व्कि
जगत् का तात्पर्य
है, जिसका उपादान
कारण महामाया
है। शिव की परिग्रह
शक्ति अचेतन और
परिणामशालिनी
मानी जाती है।
वही 'बिंदु' कहलाती
है। शुद्ध बिंदु का
ना 'महामाया'
है जो सत्वमय
जगत् को उत्पत्ति
में उपादान कारण
बनती है। अशुद्ध
बिंदु का नाम 'माया'
है जो प्राकृत
जगत् का उपादान
कारण होती
है। महामाया
के क्षोभ से शुद्ध
जगत् (शुद्धाध्वा)
की सृष्टि होती
है और माया
के क्षोभ से अशुद्ध
प्राकृत जगत्
(मायाध्वा) की उत्पत्ति
होती है। (ब.उ.)