अद्वय द्वित्व भाव से रहित। महायान बौद्ध दर्शन में भाव और अभाव की दृष्टि से परे ज्ञान को अद्वय कहते हैं। इसमें अभेद का स्थान नहीं होता। इसके विपरीत अद्वैत भेदरहित सत्ता का बोध कराता है। अद्वैत में ज्ञान सत्ता की प्रधानता होती है और अद्वय में चतुष्कोटिविनिर्मुक्त ज्ञान की प्रधानता मानी जाती है। माध्यमिक दर्शन अद्वयवाद्वी और शांकर वेदांत तथा विज्ञानवाद अद्वैतवादी दर्शन माने जाते हैं।
सं. ग्रं.- भट्टाचार्य, विधुशेखर: आगमशास्त्र मूर्ति, टी.आर. बी: सेंट्रल फ़िलासफ़ी ऑव बुद्धिज्म। (रा. पां.)