अत्रि दस प्रजापतियों एवं सप्तर्षियों में गिने गए हैं। वे वैदिक मंत्रों के भी रचयिता थे। उनकी बनाई हुई अत्रिसंहिता प्रसिद्ध है। उत्तर वैदिक काल में राम के समय में एक अत्रि का उल्लेख हुआ है जो अनसूया के पति थे और जिन्होंने चित्रकूट के दक्षिण में आश्रम बना रखा था। पुराणों के अनुसार अत्रि सोम (चंद्रमा), दत्तात्रेय और दुर्वासा के पिता थे। (चं. म.)