अजमेरी हिंदी की पश्चिमी शाखा की एक बोली मारवाड़ी का ही एक विभेद है। प्राचीन रियासत अजमेर मेरवाड़ा के पूर्वी भाग की बोली को ढ़ँढारी भी कहा जाता है। सन् १९५० ई. तक एक पृथक (ग) वर्ग का राज्य होने के कारण अजमेर की राजनीतिक पृथकता से एक पृथक् भाषा की कल्पना की जाती थी। इसकी पृथकता के जनक जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन थे। वास्तव में अजमेरी बोली मारवाड़ी से पृथक् कुछ नहीं है। आधुनिक औद्योगिकरण के प्रभाव से यह बोली खड़ीबोली से अत्यधिक प्रभावित होती जा रही है। (मो. ला. ति.)