अजमेर मेरवाड़ा राजस्थान का एक छोटा जिला था जो ब्रिटिश राज्य के अंतर्गत था। वस्तुत अजमेर और मेरवाड़ा अलग-अलग थे और उनके बीच कुछ देशी राज्य पड़ते थे, परंतु शासन की सुविधा के लिए उनकी एक में माना जाता था (स्थिति २५° २४¢ उ. अ.-२६° ४२¢ उ. अ. तथा ७३° ४५¢ पू. दे-७५° २४ फुट पू. दे।)। १ नवंबर, १९५६ को यह भारत में मिला लिया गया। यह अजमेर तथा मेरवाड़ा (क्षेत्रफल २.५९९ वर्ग मील) दो जिलों को मिलाकर बना था। अरावली पर्वत श्रेणी यहाँ की मुख्य भौगोलिक विशेषताएँ हैं, जो अजमेर तथा नासिराबाद के बीच फैली हुई प्रमुख जल विभाजक है। इसके एक ओर होने वाली वर्षा चंबल नदी में होकर बंगाल की खाड़ी में तथा दूसरी ओर लूनी नदी से होकर अरब सागर में चली जाती है। अजमेर एक मैदानी भाग तथा मेरवाड़ा पहाड़ियों का समूह है। यहाँ की जलवायु स्वास्थ्यप्रद है। गरमी में बहुत गरमी तथा शुष्कता एवं जाड़े में बहुत ठंड रहती है। अधिकतम ताप ३७.७° सेंटीग्रेड तथा न्यूनतम ४.४° सेंटीग्रेड है। वर्षा साल भर में लगभग २०¢ ¢ होती है। यहाँ की भूमि में चट्टानों की तहें पाई जाती हैं। उपजाऊ भूमि तालाबों के किनारे मिलती है। यहाँ की मुख्य फसलें ज्वार, बाजरा, कपास, मक्का (भुट्टा), जौ, गेहूँ तथा तेलहन हैं। कृत्रिम तालाबों से सिंचाई काफी मात्रा में होती है। अभी तक हिंदुओं में राजपूत यहाँ के भूमिस्वामी तथा जाट और गुजर कृषक थे। जैन यहाँ के व्यापारी तथा महाजन हैं। रुई तैयार करने के कई कारखाने यहाँ हैं। बीवर और केकरी यहाँ के मुख्य व्यापारिक केंद्र हैं। (न. ला.)