अजमेर
राजस्थान के अजमेर
जिले का मुख्य
नगर है, जो अरावली
पर्वत श्रेणी की
तारागढ़ पहाड़ी
की ढाल पर स्थित
है। यह नगर १४५ ई.
में अजयपाल नामक
एक चौहान राजा
द्वारा बसाया
गया था जिसने
चौहान वंश
की स्थापना की।
सन् १३६५ में मेवाड़
के शासक, १५५६ में अकबर
और १७७० से १८८० तक
मेवाड़ तथा मारवाड़
के अनेक शासकों
द्वारा शासित
होकर अंत में
१८८१ में यह अंग्रेजों
के आधिपत्य में
चला गया।
नगर के उत्तर में अनासागर तथा कुछ आगे फ्वायसागर नामक कृत्रिम झीलें हैं। मुख्य आकर्षक वस्तु प्रसिद्ध मुसलमान फकीर मुइनुद्दीन चिश्ती का मकबरा है जो तारागढ़ पहाड़ी की तलहटी में बना है। यह लोगों में दरगाह के नाम से प्रसिद्ध है। एक प्राचीन जैन मंदिर, जो १२०० ई. में मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया था, तारागढ़ पहाड़ी की निचली ढाल पर स्थित है। इसके खंडहर अब भी प्राची हिंदू कला की प्रगति का स्मरण दिलाते हैं। इसमें कुल ४० स्तंभ हैं और सब में नए-नए प्रकार की नक्काशी है; कोई भी दो स्तंभ नक्काशी में समान नहीं हैं। तारागढ़ पहाड़ी की चोटी पर एक दुर्ग भी है।
इसका आधुनिक नगर एक प्रसिद्ध रेलवे केंद्र भी है। यहाँ पर नमक का व्यापार होता है जो साँभर झील से लाया जाता है। यहाँ खाद्य, वस्त्र तथा रेलवे के कारखाने हैं। तेल तैयार करना भी यहाँ का एक प्रमुख व्यापार है। (न. ला.)