अजमल खाँ, हकीम राष्ट्रीय मुस्लिम विचारधारा के समर्थक थे तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। ये सन् १८६३ ई. में दिल्ली में पैदा हुए। फारसी अरबी के बाद हकीमी पढ़ी। १८९२ ई. में रामपुर राज्य में खास हकीम नियुक्त हुए। यहाँ दस साल तक रहने और हकीमी करने से इनकी प्रसिद्धि बहुत बढ़ गई। सन् १९०२ ई. में वहाँ से नौकरी छोड़कर ये इराक गए। वापसी पर दिल्ली में रहकर मदरसे तिब्बिया की नींव डाली जो अब तिब्बिया कालेज हो गया है। फिर कांग्रेस में शामिल हुए। सन् १९२० में जामिया मिल्लिया नामक संस्था स्थापित करने में हिस्सा लिया। कांग्रेस के ३३वें अधिवेशन (१९१८ ई.) की स्वागतकारिणी के वे अध्यक्ष थे। १९२१ ई. में कांग्रेस के अहमदाबाद वाले अधिवेशन के सभापति हुए। इसी साल खिलाफत कान्फ्रसें की भी अध्यक्षता की। १९२४ ई. में वे अरब गए। १९२७ ई. में यूरोप से दिल्ली वापस आए। २९ दिसंबर, १९२७ को इनकी मृत्यु हुई। हकीम साहब का आजीवन प्रयत्न यह रहा कि हिंदू मुसलमानों में मेल रहे। (र. ज.)