अग्रिपा, मार्कस विप्सानिअस (६३-१२ ई. पू.) यह प्रसिद्ध रोमन सम्राट ओगुस्तस का परम मित्र और सेनापति था तथा उसका प्रिय सलाहकार भी। इन दोनों का उल्लेख मिस्र की रानी क्लियोपात्रा के संबंध में हुआ है। उससे ओगुस्तस की बेटी भी ब्याही थी, यद्यपि उसकी उम्र सम्राट के बराबर ही थी और दोनों ने एक साथ ही यूनान में अध्ययन किया था। अग्रिपा अंत तक अपने मित्र सम्राट् के साथ रहा था और निरंतर उसने उसके कार्य सम्पन्न किए। ३७ ई. पू. में वह रोम का कौंसल हुआ। रोम की नौसेना का अध्यक्ष होने के नाते उसने उस महान् नगर के बंदरगाह का सुंदर प्रबंध किया और नौसेना को नए ढंग से संगठित किया। रोम नगर की प्रधान इमारतों का जीर्णोद्धार कराया और नई इमारतें, नालियाँ, स्नानगृह, उद्यान आदि बनवाए। उसने ललित कलाओं को अपना संरक्षण दिया और जो यह कहा जाता है कि ओगुस्तस ने पाया रोम नगर जो ईटं का था, पर छोड़ा उसे संगमरमर का बनाकर वस्तुत सम्राट के पक्ष में उतना सही नहीं है जितना अग्रिपा के पक्ष में और उस दिशा में जो कुछ भी सम्राट कर सका वह अग्रिपा की कार्यशीलता से। मार्क आंतोनी के विरुद्ध आक्तियन की लड़ाई सम्राट के लिए अग्रिपा ने ही जीती थी और परिणामस्वरूप अपनी भतीजी मारसेवला का विवाह उसने अग्रिपा से कर दिया था। २३ ई. पू. में अग्रिपा पूर्व का गवर्नर बनाकर भेजा गया। वहाँ से लौटने पर सम्राट ने अपनी मित्रता उसके साथ दृढ़ करने के लिए उससे पत्नी का तलाक दिलाकर उसे अपनी बेटी ब्याह दी। कुछ काल बाद उसे फिर पूर्व जाना पड़ा और वहाँ उसे अपनी न्यायप्रियता और सुशासन से लोगों का हृदय जीत लिया। पनोनिया का विद्रोह बिना रक्तपात के दबाकर उसने और भी लोकप्रियता अर्जित की। ५१ वर्ष की उम्र में अग्रिपा की कंपानिया में मृत्यु हुई। वह लेखक भी था। उसने भूगोल पर काफी लिखा है। उसने अपनी आत्मकथा भी लिखी थी जो अब नहीं मिलती। (ओं. ना. उ.)