अग्रिपा संदेहवादी ग्रीक दार्शनिक। इसका समय ठीक प्रकार से ज्ञात नहीं है, पर संभवत यह इनेसिदेमस के पश्चात् हुआ था। इसने निर्भ्रांत सुनिश्चित ज्ञान की संभाव्यता के विरुद्ध उसके विषय में संदेह करने के पाँच आधार या हेतु बतलाए हैं जो (१) वैमत्य, (२) अनंत विस्तार, (३) सापेक्षिकता, (४) उपकल्पना (हाइपॉथेसिस) और (५) परस्पराश्रित अनुमान हैं। अग्रिपा का उद्देश्य यह था कि उसके ये पाँच हेतु इनेसिदेमस् इत्यादि प्राचीन संदेहवादियों के दस हेतुओं का स्थान ग्रहण कर लें। (भो. ना. श.)